सम्पादकीय

कोरोनासे बाहर निकलती आर्थिकी


डा. जयंतीलाल भंडारी
जब वर्ष २०२० की शुरुआत हुई, तब जनवरी माहमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वल्र्ड बैंक तथा दुनियाके अनेक वैश्विक संघटन यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे कि वर्ष २०१९ की आर्थिक निराशाओंको बदलते हुए वर्ष २०२० में भारतीय अर्थव्यवस्थाका प्रदर्शन सुधरेगा और विकास दर तेजीसे बढ़ेगी, लेकिन कोरोनाके कारण ऐसी सब उम्मीदें धरी रह गयीं। कोरोना संक्रमणने दुनियाके साथ देशके आर्थिक और सामाजिक जीवनमें हाहाकार मचा दिया। देशमें फरवरी २०२० के बाद जैसे-जैसे कोरोनाकी चुनौतियां बढऩे लगी, वैसे-वैसे देशमें अकल्पनीय आर्थिक निराशाका दौर बढऩे लगा। देशके उद्योग-कारोबार मुश्किलोंका सामना करते हुए दिखाई दिये और इनमें रोजगार चुनौतियां बढ़ गयी। नि:संदेह कोरोनाके कारण वर्ष २०२० में देशमें पहली बार प्रवासी श्रमिकोंकी अकल्पनीय पीड़ाएं देखी गयी। खास तौरसे जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकारके उद्योग (एमएसएमई) पहलेसे ही मुश्किलोंके दौरसे आगे बढ़ रहे थे, कोरोना और लॉकडाउनके कारण इन उद्योगोंके उद्यमियों और कारोबारियोंके सामने उनके कर्मचारियोंको वेतन और मजदूरी देनेका संकट खड़ा हो गया। देशके करीब ४५ करोड़के वर्क फोर्समेंसे असंघटित क्षेत्रके ९० फीसदी श्रमिकों और कर्मचारियोंकी रोजगार मुश्किलें बढ़ गयी। देशके कोने-कोनेमें पैदल, ट्रकों और ट्रेनोंसे लाखों श्रमिक शहर छोड़कर अपने-अपने गांवोंमें जाते हुए दिखाई दिये।
यह ऐसे श्रमिक थे जिनके पास सामाजिक सुरक्षाकी कोई छतरी नहीं थी। इन आर्थिक एवं रोजगार चुनौतियोंके बीच कोरोनाके संकटसे चरमराती देशकी अर्थव्यवस्थाके लिए आत्मनिर्भर अभियानके तहत वर्ष २०२० में मार्चसे लगाकर नवंबरके बीच सरकारने एकके बाद एक २९.८७ लाख करोड़की राहतोंके ऐलान किये। इन राहतोंके तहत आत्मनिर्भर भारत अभियान-एकके तहत ११०२६५० करोड़ रुपये, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण पैकेजके तहत १९२८०० करोड़ रुपये, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजनाके तहत ८२९११ करोड़ रुपये, आत्मनिर्भर भारत अभियान-दोके तहत ७३००० करोड़ रुपये, आरबीआईके उपायोंसे राहतके तहत १२७१२०० करोड़ रुपये तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान-तीनके तहत २.६५ लाख करोड़की राहत शामिल हैं। इन विभिन्न आर्थिक पैकेजोंसे देशके लिए आत्मनिर्भरताके पांच स्तंभोंको मजबूत करनेका लक्ष्य रखा गया। इन पांच स्तंभोंमें तेजीसे छलांग लगाती अर्थव्यवस्था, आधुनिक भारतकी पहचान बनता बुनियादी ढांचा, नये जमानेकी तकनीक केंद्रित व्यवस्थाओंपर चलता तंत्र, देशकी ताकत बन रही आबादी और मांग एवं आपूर्ति चक्रको मजबूत बनाना शामिल है। वैश्विक संरक्षणवादसे देशको बचाने और तेजीसे विकास करनेके लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीने दो मंत्र दिये।
एक, भारतको आत्मनिर्भर बनानेकी डगरपर आगे बढ़ाना और दो, लोकलको ग्लोबल बनाकर वैश्विक बाजारमें तेजीसे कदम बढ़ाकर आगे बढ़ाना। यह बात महत्वपूर्ण रही कि सरकारकी ओरसे जून २०२० के बाद अर्थव्यवस्थाको धीरे-धीरे खोलनेकी रणनीति के साथ राजकोषीय और नीतिगत कदमोंका अर्थव्यवस्थापर अनुकूल असर पड़ा। यद्यपि वर्ष २०२० में देश महामारीसे नहीं उबराये लेकिन अर्थव्यवस्थाने तेजी हासिल करनेकी क्षमता दिखायी। कोरोनाकालमें सरकारको उन श्रम, कृषि, कारोबार तथा अन्य सुधारोंको आगे बढ़ानेका अवसर मिला, जो दशकोंसे लंबित थे। यदि हम अप्रैल २०२० से दिसंबर २०२० तकके विभिन्न औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्रके आंकड़ोंका मूल्यांकन करें तो यह पूरा परिदृश्य आशान्वित होनेकी नयी संभावनाएं देता है। देशके ऑटोमोबाइल सेक्टर, बिजली सेक्टर, रेलवे माल ढुलाई सेक्टरमें तेज सुधार हुआ। इतना ही नहीं, दैनिक उपयोगकी उपभोक्ता वस्तुओं, सूचना प्रौद्योगिकी, वाहन कलपुर्जा, फार्मा सेक्टर, इस्पात और सीमेंट आदि क्षेत्रोंका प्रदर्शन आशासे भी बेहतर दिखा। आईटी क्षेत्रकी विभिन्न बड़ी कम्पनियोंकी ओरसे भी आशावादी अनुमान जारी हुए। ज्ञातव्य है कि कोरोनाके कारण जून २०२० तक अर्थव्यवस्थामें गहरी निराशाका दौर रहा। चालू वित्त वर्षकी पहली तिमाही यानी अप्रैलसे जून २०२० में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट करीब २३.९ फीसदी थी। इसकी तुलनामें दूसरी तिमाहीमें जीडीपीकी गिरावट सुधरकर ७.५ फीसदी रह गयी। लेकिन चालू वित्त वर्षकी तीसरी और चौथी तिमाहीमें तेज सुधारकी उम्मीदोंका परिदृश्य दिखाई दिया है। वर्ष २०२० के अंतिम छोरपर अर्थव्यवस्थामें तेजीसे सुधार हुआ है।
दिसंबर २०२० में बीएसई सेसेंक्स ४७ हजारके पार भी दिखा। इसी तरह देशका विदेशी मुद्रा भंडार दिसंबर माहमें ५७९ अरब डॉलरसे भी अधिककी ऊंचाईपर पहुंच गया। निश्चित रूपसे भारतने वर्ष २०२० में कोरोनाकी आर्थिक चुनौतियोंका सफल मुकाबला किया। एशियन डिवेलपमेंट बैंक सहित विभिन्न वैश्विक संघटनोंके मुताबिक कोरोनासे जंगमें भारतके रणनीतिक प्रयासोंसे कोरोनाका भारतीय अर्थव्यवस्थापर अन्य देशोंकी तुलनामें कम प्रभाव पड़ा। सरकारके द्वारा घोषित किये गये २९ लाख करोड़ रुपयेसे अधिकके आत्मनिर्भर भारत अभियान और ४१ करोड़से अधिक गरीबों और किसानोंके जनधन खातोंतक सीधी राहत पहुंचानेसे कोरोनाके आर्थिक दुष्प्रभावोंसे बहुत कुछ बचा जा सका है। नि:संदेह वर्ष २०२० में कोरोना महामारीके बीच भारतने आपदाको अवसरमें भी बदलनेका पूरा प्रयास किया है।
कोरोनासे जंगमें सरकारके द्वारा उठाये गये रणनीतिक कदमोंसे वर्ष २०२० के अंतिम सोपानपर देश कोरोनाकी आर्थिक महात्रासदीसे बाहर निकलकर विकासकी डगरपर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। महत्वपूर्ण बात है कि कोरोनाकी आर्थिक चुनौतियोंके बीच वैश्विक प्रबंधन सलाहकार फर्म मैकिंजी, एसेंचर कंज्यूमर पल्स, डेलाइट और फिच सॉल्यूशंस के द्वारा वर्ष २०२० में प्रकाशित वैश्विक उपभोक्ताओंके आशावाद संबंधी सर्वेक्षणोंमें कहा गया है कि दुनियामें कोरोनाकी चुनौतियोंसे सबसे पहले बाहर आनेके परिप्रेक्ष्यमें भारतीय उपभोक्ताओंका आशावाद दुनियामें सर्वाधिक है। यद्यपि अभी कोरोनाकी चुनौतियां समाप्त नहीं हुई हैं, लेकिन फिर भी हम उम्मीद कर सकते हैं कि वर्ष २०२० में सरकारके द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियानके तहत विभिन्न आर्थिक पैकेजों और आर्थिक सुधारोंके कारगर क्रियान्वयनसे नये वर्ष २०२१ में अर्थव्यवस्था गतिशील होते हुए दिखाई देगी।