पटना

कोरोना: ‘अंग्रेजी’ को ‘हिंदी’ की टक्कर


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में चल रही इंटरमीडिएट की परीक्षा में हिंदी ने अंग्रेजी को टक्कर दी है। ‘अंग्रेजी’ को ‘हिंदी’ की टक्कर मिली है कोरोना को लेकर सवाल के मामले में। अंग्रेजी की परीक्षा में परीक्षार्थियों को कोरोना पर एस्से लिखने को दिये गये, तो भला हिंदी क्यों पीछे रहती। सो, हिंदी की परीक्षा में भी परीक्षार्थियों को कोरोना पर निबंध पूछ ही दिये गये। खास बात यह रही कि अंग्रेजी की तुलना हिंदी में ज्यादा परीक्षार्थियों ने कोरोना पर निबंध लिखे।

आपको बता दूं कि राज्य भर में सभी 1473 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के चौथे दिन यानी गुरुवार को पहली पाली में साइंस एवं कॉमर्स दोनों स्ट्रीम के लाखों परीक्षार्थियों की अंग्रेजी की परीक्षा हुई। अंग्रेजी सौ अंकों की है। उसमें आठ नम्बर के एस्से लिखने के लिए क्वेश्चन पेपर में परीक्षार्थियों को पांच सब्जेक्ट दिये गये थे। पांचों में से उन्हें किसी एक पर लिखना था। उनमें से एक था- ‘इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन सोसाइटी।’ यानी, समाज पर कोविड-19 का प्रभाव। तो, साइंस और कॉमर्स दोनों ही स्ट्रीम के ज्यादातर परीक्षार्थियों ने एस्से लिखने के लिए ‘इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन सोसाइटी’ को ही चुना।

इससे इतर परीक्षा के छठे दिन यानी शनिवार को पहली पाली में साइंस एवं कॉमर्स स्ट्रीम के ही लाखों परीक्षार्थियों की हिंदी की परीक्षा थी। अंग्रेजी की तरह ही हिंदी भी सौ अंकों की है। हिंदी में भी परीक्षार्थियों को निबंध लिखने होते हैं। प्रश्नपत्र मिलने के बाद उसे पढ़ते ही परीक्षार्थी अंग्रेजी की परीक्षा की तरह ही चौंके बिना नहीं रह पाये। इसलिए कि हिंदी में भी निबंध लिखने के लिए जो विषय दिये गये थे, उनमें एक ‘कोरोना वायरस’ था।

परीक्षार्थियों को अंग्रेजी और हिंदी एक समानता यह मिली कि अंग्रेजी की तरह ही हिंदी में भी निबंध पर आठ अंक हैं। लेकिन, अंग्रेजी में ‘इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन सोसाइटी’ सहित दिये गये पांच सब्जेक्ट में से किसी एक पर एस्से लिखने थे, जबकि हिंदी में परीक्षार्थियों को एक विकल्प ज्यादा मिल गये। इस मायने में ‘कोरोना वायरस’ सहित छह विषय दिये गये, जिनमें किसी एक पर निबंध लिखने को कहा गया।

परीक्षार्थियों की मानें, तो जिन्होंने अंग्रेजी की परीक्षा में ‘इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन सोसाइटी’ पर एस्से नहीं लिखे, उन्होंने भी हिंदी की परीक्षा में ‘कोरोना वायरस’ पर निबंध लिखे। सो, इस मामले में संख्या की दृष्टि से  तो अंग्रेजी पर हिंदी भारी पड़ी ही, परीक्षार्थियों के भाव की दृष्टिï से भी  हिंदी भारी रही। इसलिए कि कोरोना वायरस पर हिंदी में लिखने के लिए परीक्षार्थियों के पास भावाभिव्यक्ति कुछ ज्यादा ही थी। तो, टक्कर में अंग्रेजी पर हिंदी भारी रही।