देशमें नये कोरोना वायरसका संक्रमण शुरू होना गम्भीर चिन्ताका विषय है। अबतक २५ लोगोंके इससे संक्रमित होनेकी पुष्टिï हुई है और इसकी संख्यामें वृद्धिकी भी आशंका बनी हुई है लेकिन सबसे बड़ी राहतकी बात यह है कि देशमें कोरोना पाजिटिव होनेवालोंकी दरमें काफी कमी आयी है। यह अब छह प्रतिशतसे नीचे आ गयी है। दूसरी ओर कोरोनासे स्वस्थ होनेवालीकी दर ९६ प्रतिशतसे ऊपर हो गयी है। मृत्यु दर भी घटकर १.४५ प्रतिशत हो गयी है। ठीक होनेवालोंकी दर विश्वमें सबसे अधिक भारतकी है। नये वर्षके पहले ही दिन विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्लूएचओ) ने फाइजर और बायोएनटेककी कोरोना वायरस टीकेके इमरजेंसी इस्तेमालकी स्वीकृति दे दी है। इससे विश्वमें फाइजरके टीकेके इस्तेमालका रास्ता खुल गया है। इसमें भारत भी शामिल है। भारतमें टीकाकरणके लिए सभी आवश्यक तैयारियां तेज कर दी गयी हैं। दो जनवरीको सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशोंमें टीकाकरणका पूर्वाभ्यास किया जायगा। डब्लूएचओने कोरोनाके नये स्ट्रेनको लेकर कहा है कि मौजूदा उपायोंको अपनाकर इससे बचा जा सकता है। भारतमें अच्छे संकेतोंके बावजूद कोरोनाका खतरा बना हुआ है। इसके खिलाफ जंग जारी है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने कोरोनाको परास्त करनेके लिए एक नया मंत्र दिया है। राजकोटमें गुरुवारको अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आधारशिला रखनेके बाद उन्होंने कहा कि नये सालमें ‘दवाई भी, कड़ाई भीÓ का नया मंत्र रहेगा। टीकाकरणके बाद भी सावधानी बरतना आवश्यक है। कोरोनाके खिलाफ टीकाकरण अभियानको सफल बनानेके लिए पूरा भारत एकजुटताके साथ आगे बढ़ेगा। प्रधान मंत्रीने यह भी कहा कि टीकेके सम्बन्धमें कई प्रकारकी अफवाहें फैलायी जा सकती हैं जिससे देशवासियोंको सावधान रहना चाहिए। निश्चित रूपसे नये सालमें कोरोनाके खिलाफ जंग निर्णायक दौरमें पहुंच गया है और टीकाकरणसे काफी उम्मीदें बढ़ गयी हैं। आशाका नया संचार हुआ है लेकिन जनताको दवाईके साथ कड़ाईके नये मंत्रका अनुपालन पूरी ईमानदारीसे करना होगा। टीका लगानेके बाद भी पूरी तरहसे निश्चिन्त नहीं हुआ जा सकता है। टीका तो अपना प्रभाव दिखायगा लेकिन किसी प्रकारकी लापरवाही भी नहीं होनी चाहिए। नये स्ट्रेनका भी खतरा उत्पन्न हो गया है। इसलिए पहलेकी तुलनामें अधिक सतर्कता और सावधानीसे ही कोरोनाके खिलाफ जंगमें सफलता मिल सकती है। दवाई और कड़ाई दोनों ही मजबूत हथियार हैं जिनसे कोरोना महामारीपर विजय प्राप्त की जा सकती है। इसमें जन-जनकी भागीदारी काफी सहायक साबित होगी।
छात्रोंको राहत
कोरोना कालके बीच केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की दसवीं और बारहवींकी बोर्डकी परीक्षाओंकी तारीख घोषित कर सरकारने छात्रोंकी चिन्ता दूर करनेके साथ ही अभिभावकोंको राहत पहुंचानेका काम किया है। कोरोना महासंकटका सबसे ज्यादा असर शिक्षापर ही पड़ा है। कोरोना महामारीके चलते स्कूल, कालेज लम्बे समयसे बंद चल रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह चरमराई नहीं, क्योंकि यह सरकारके दृढ़ निश्चय और समयसे प्रभावी कदम उठानेका परिणाम रहा। आनलाइन शिक्षाकी जहां व्यवस्था की गयी, वहीं जहां आनलाइन शिक्षा उपलब्ध नहीं हुई, वहां छात्रोंको डीटीएचके जरिये टीवीके माध्यमसे शिक्षा उपलब्ध करानेका काम किया गया। कोरोना संकटमें यह भारतकी बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। केन्द्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंकने अभिभावकों और छात्रोंसे मंथन करनेके बाद सीबीएसईकी परीक्षाएं चार मईसे दस जूनके बीच करानेकी घोषणा कर छात्रोंका इन्तजार खत्म कर दिया है। इससे आनलाइन परीक्षाको लेकर लगाये जा रहे कयासोंपर विराम लग गया है। परीक्षा तिथि घोषित हो जानेसे छात्रोंको बेहतर तैयारीका मौका मिल गया है। शिक्षाके साथ सुरक्षाके सिद्धान्त पूर्णत: सुनिश्चित करनेके लिए सरकारने परीक्षा केन्द्र बनानेकी प्रक्रियामें बड़ा बदलाव किया है। सामाजिक दूरी बनाये रखनेके लिए परीक्षा केन्द्रोंकी संख्या जहां लगभग दो गुनी की गयी है, वहीं प्रत्येक परीक्षार्थीको २० वर्ग फुटकी जगह ३६ वर्ग फुटका स्थान उपलब्ध कराया जायगा। सरकारने छात्रोंको अधिक मौका देनेके लिए प्रतियोगी परीक्षाएं, जेईई मेंस परीक्षा इस वर्ष चार बार आयोजित करनेका निर्णय कर उचित कदम उठाया है। इससे छात्रोंको मौका ज्यादा मिलेगा। इस साल उनके पाठ्यक्रममें कमी की गयी है जिससे छात्रोंको तैयारी करनेमें सुविधा होगी। सरकारी स्तरपर भी छात्रोंको डिजिटल तरीकेसे अध्ययन सामग्री उपलब्ध करानेकी व्यवस्था की गयी है। सरकारका यह प्रयास छात्रोंको राहत पहुंचानेवाला है।