पटना

कोविड की उत्पत्ति शोध का विषय: नीतीश


सीएम ने कहा नालंदा विश्वविद्यालय को देश के अन्य विश्वविद्यालय की तरह समझने की भूल नहीं होनी चाहिए

बिहारशरीफ (नालंदा)। तीन दिवसीय छठे धर्म-धम्म सम्मेलन के शुभारंभ के अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा विश्वविद्यालय को वैश्विक बनाने की दिशा में बेहतर पहल किये जाने की आवश्यकता जताया और कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसा करने में सक्षम हो पायेगा। इसके लिए हमसे जो मदद बन पड़ेगी करते रहेंगे। इस विश्वविद्यालय को देश के अन्य विश्वविद्यालय की तरह सामान्य समझने की भूल नहीं करनी चाहिए बल्कि इसके उद्देश्य को पूरा करने के लिए सभी को पूरी तरह प्रयत्नशील रहना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड के कारण पूरे विश्व में त्रहिमाम मची है। चीन के वुहान से इसकी शुरुआत हुई और इसका वहां क्या प्रभाव पड़ा विश्व को मालूम ही नहीं, लेकिन विश्व के सभी देशों में इस बीमारी से काफी क्षति हुई है। यह शोध का विषय है कि आखिर वुहान से फैली यह बीमारी पूरे विश्व में कैसे पहुंची। बुजुर्गों का मानना है कि ऐसी बीमारी कभी नहीं देखी गयी। यह काफी खतरनाक है। इससे सचेत रहने की जरूरत है। सम्मेलन में भाग ले रहे शोधार्थियों से उन्होंने अपील की कि इसका समाधान ढूंढे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में पांच करोड़ लोगों को पहली और दो करोड़ लोगों को दूसरी डोज दी जा चुकी है।

सीएम ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के पुर्नस्थापना की सोच उन्होंने 26 नवंबर 2005 को सत्ता में आते हीं बनायी थी। वर्ष 2007 में तय हुआ कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाय। फिर इसके लिए जमीन उपलब्ध करायी। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में 10 हजार छात्र हुआ करते थे। दक्षिण कोरिया, जापान, चीन जैसे देशों के छात्र प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में रहकर पढ़ाई करते थे। पुर्नस्थापित विश्वविद्यालय में भी अलग-अलग देशों के छात्र आये और ज्ञान अर्जन करें।

सीएम श्री कुमार ने कहा कि राजगीर पौराणिक स्थली है। यह प्राचीन राजधानी रही है। भगवान बुद्ध यहां कई बार आये, उपदेश दिये। भगवान महावीर का भी यहां से गहरा संबंध रहा। सूफी संत मखदूम साहब, सिक्खों के गुरू गुरूनानक देव जी का भी यहां से संबंध रहा। जरासंध का यहां अखाड़ा रहा। इसके साथ हीं कई ऐतिहासिक धरोहर है। सनातन धर्म के लोगों की मान्यता के अनुरूप तीन साल में मलमास मेला लगता है और जो मान्यता है कि इस दौरान यहां 33 करोड़ देवी-देवता का वास होता है। सच तो यह है कि यह स्थल धर्म, शिक्षा और ज्ञान की अनूठी स्थली है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तीन दिवसीय धर्म-धम्म सम्मेलन में जो चर्चा होगी उससे एक सार निकलेगा, जिससे विश्व कल्याण में सहायता होगी।