काप-26 की बैठक को लेकर आखिर क्यों झूठ बोला चीन
गौरतलब है कि काप-26 की बैठक पहले से तय थी। इस कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनिया का हर बड़ा नेता इसमें शामिल हुआ, लेकिन इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति नदारद रहे। चौंकाने वाली बात यह है कि चिनफिंग ने वर्चुअली भी इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया, जबकि यह उनके कार्यक्रम में शामिल था। चीन के विदेश मंत्रालय ने इसका बचकाना उत्तर दिया। उन्होंने कहा- हमें काप-26 के लिए वीडियो लिंक ही नहीं मिला। इसलिए लिखित बयान जारी करना पड़ा। हालांकि, बाद में साफ हो गया कि चीन की सरकार इस मामले में झूठ बोल रही है। उनको वीडियो लिंक तो भेजा गया था, लेकिन वह इस शिखर सम्मेलन में नहीं जुड़े।
18 जून, 2020 को चिनफिंग की अंतिम यात्रा
18 जून 2020, को चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग म्यांमार के दौरे पर गए थे। उस वक्त वह म्यांमार के सैन्य नेताओं से मिले थे। इसके बाद से चिनफिंग कभी बीजिंग के बाहर नहीं निकले। पिछले महीने सीएनएन ने एक मेल के जरिए चिनफिंग के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन अभी तक उनको इसका कोई जवाब नहीं मिला है। अगर चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग की विदेशी दौरों की बात करें तो कोरोना महामारी से उसकी स्थिति बिल्कुल अलग थी। कोरोना महामारी के पूर्व विदेशी दौरों के मामले में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप को भी पीछे छोड़ दिया था। कोरोना से पहले चिनफिंग ने सलाना 14 देशों की यात्रा की और विदेशों में औसतन 34 दिन बिताए थे।
चिनफिंग की फोन डिप्लोमेसी
चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग भले ही देश के बाहर नहीं जा रहे हैं, लेकिन चीन के राजनयिक संबंध को बेहतर करने की कोशिश नहीं छोड़ी है। चीन ने तालिबान के साथ वार्ता को लेकर रूस और पाकिस्तान के साथ प्रमुख भूमिका निभाई। वह अब भी तालिबान के संबंधों को लेकर उत्साहित और सक्रिय दिख रहा है। इतना ही नहीं चिनफिंग ने यूरोपीय नेताओं के साथ कई कान्फ्रेंस काल की हैं। जिनमें जर्मनी की चांसलर एंगला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन शामिल हैं। जी-20 सम्मेलन में उन्होंने वीडियो के जरिए इस सम्मेलन को संबोधित किया था।