वाराणसी

गायत्रीकी आराधनासे होती है पांच महाशक्तियों की पूजा


तारानगर कालोनी, छित्तूपुर, सामनेघाट, लंका स्थित वेदमाता मंदिर में वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सोसाएटी के तत्वावधान में आयोजित मास दिवसीय गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ के १९ वें दिन शनिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उमाकांत चतुवेर्दी को सम्मानित किया गया।
वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सोसाएटी के संस्थापक अध्यक्ष ख्यातिलब्ध ज्योतिषाचार्य पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी ने प्रोफेसर उमाकांत चतुर्वेदी को अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इस अवसर भूदेवों को संबोधित करते हुए प्रोफेसर चतुर्वेदी ने गायत्री के २७ शिष्यों का उल्लेख करते हुए स्वामी करपात्री जी महाराज के भाष्य की विवेचना की। उन्होंने कहा कि गायत्री अनाम, अरुप और अल्लिंग है। गायत्री की आराधना करने से पाँच महाशक्तियों की पूजा होती है। यह महामंत्र त्रिलोक का वाचक है जो सकल ब्रह्मांड की उर्जा को सूक्ष्मीकृत और समन्वित कर विश्वकल्याण की चेतना उत्पन्न करता है। जगत कल्याण के लिए इससे बड़ा कोई मंत्र नही है। इस अवसर पर प्रोफेसर उमाकांत चतुवेर्दी एवं उत्तर प्रदेश प्रेस परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश मिश्र को भी सम्मनित किया गया। आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए ख्यातिलब्ध ज्योतिषाचार्य पंडित शिवपूजन चतुवेर्दी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में विश्व की शांति एवं भारत को सर्वशक्तिमान बनाने की कामना को लेकर गायत्री महामंत्र का यज्ञ भूदेवों द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर. डॉक्टर दिनेश उपाध्याय, आचार्य सुनील चौबे एवं पंडित संतोष दुबे सहित गणमान्य जन उपस्थित थे।