Latest News झारखंड धनबाद राष्ट्रीय

गो सेवा परिवार ने उठाया मवेशियों को लंपी वायरस से बचाने का बीड़ा,


धनबाद: लंपी वायरस पूरे देश में धीरे-धीरे पांव पसार रहा है। पश्चिमी भारत में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 96 हजार गोवंशी को तड़पाकर यह वायरस जान ले चुका है। सोचिए वास्तविक आंकड़े कितने खतरनाक होंगे। अब यह वायरस झारखंड, बंगाल और बिहार में भी प्रवेश कर चुका है। संकट की इस घड़ी में सभी जीव जंतु प्रेमियों, गो भक्तों, समाजसेवियों एवं संस्थाओं को एकजुट होकर कार्य करना है। इस वायरस के प्रति जागरूकता फैलाने में पवित्रम गो सेवा परिवार महती भूमिका निभा रहा है। पवित्रम गो सेवा परिवार धनबाद इकाई लोगों को जागरूक कर रही है। इसके लिए वाट्सएप ग्रुप के साथ ही अन्य इंटरनेट मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है।

पवित्रम गो सेवा परिवार ने गोशालाओं और पशुपालकों से अपील की है कि जो गोवंशी लंपी वायरस की चपेट में नहीं आए हैं, उन्हें निवारक टीका और दवाइयां देनी होगी। इसके साथ ही जिन गोवंशी को यह हो चुका है उन्हें सही दवाइयां सही समय पर देनी होंगी। सबसे बड़ी समस्या हमें सड़कों पर घूम रहे गोवंशी को बचाना है। इस कार्य के लिए हम सभी को जागरूक करना होगा। दवाइयां बांटनी हाेंगी, सड़कों पर घूम रहे गोवंशी को टीकाकरण, उनको पकड़-पकड़ कर उनका इलाज, छोटी छोटी सभाओं का आयोजन आदि करना होगा। गो सेवा परिवार ने कहा है कि शहर का कोई भी गोवंशी प्रेमी इस अभियान से जुड़ना चाहें, कार्य करना चाहें, सुझाव देना चाहें, सहयोग करना चाहें तो उनका स्वागत है।

गो सेवा परिवार के साथ ही साथ सभी लोगों को लंपी वायरस से झारखंड, बिहार एवं बंगाल बचाने की रणनीति बनानी होगी। इसके लिए जल्द ही एक बैठक होगी। इस कार्य में कोई भी जुड़ सकता है। पवित्रम गो सेवा परिवार धनबाद के अजय भरतिया ने बताया कि गो माता स्वर्ग की सोपान हैं जो स्वर्ग में भी पूजनीय हैं। समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं। गो माता से बढ़कर दुनिया में और कोई नहीं है। गो माता के शरीर में सभी देवता निवास करते हैं इसलिए गो माता सर्व देवमयी है। इन्हें बचाना अतिआवश्यक है। पशुधन गणना के अनुसार धनबाद में गायों की संख्या साढ़े तीन लाख है।

लंपी से संक्रमण के कारण और उपाय भी बताए

अजय भरतिया बताते हैं कि यह एक विषाणु जन्य रोग है। इसका वायरस पॉक्स (चेचक) ग्रुप का वायरस है। यह सामान्यतः गाय पर संक्रमण कर रहा है। शरीर के ऊपर गांठों के कारण आसानी से पहचान हो जाती है। बुखार, आँखों से कीचड़, भूख कम हो जाना, शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ जाना, गांठ फट जाने के कारण घाव हो जाता है। इसके उपचार के लिए 100 ग्राम एलोवेरा, हल्दी 50 ग्राम पीस कर एक चौथाई भाग लेकर 100 ग्राम गुड़ में मिलाकर खिलाएं। दिन में तीन से चार बार देना होगा। सात दिन तक खिलाएं और घाव पर लेप भी करें। नीम की पत्तियों को उबालकर पानी का छिड़काव गोशाला और गाय के शरीर पर करें। गुग्गल कपूर का धुआं भी गोशाला में करने पर असर करता है।