चंदौली। कृषि प्रधान जनपद में नहरों का जाल बिछा होने के बावजूद किसानों की नर्सरी सूख रही है। एक अनुमान के अनुसार अभी तक जनपद में लगभग २५ फीसदी खेतों में ही नर्सरी डाली गयी। बाकी खेत बुआई के लिए तैयार कर बरसात के इंतजार में सूख रहे हैं। हालत यह हो गयी है कि खेतों में दरारे पडऩे लगी है। जिसे देख अन्नदाता किसान माथे पर पीटने को लाचार व विवश हैं। बताया जाता है कि पंडित कमलापति त्रिपाठी ने जनपद में नहरों का जाल बिछाने के साथ ही नरायनपुर में विशाल पम्प कैनाल का निर्माण कराया। जिससे चंदौली सहित रास्ते में पडऩे वाले खेतों को सींचा जा सके। लेकिन बदली परिस्थिति में नहरों की समय से सफाई नहीं हो पाती जिससे खर पतवारों, सिल्टों से नहर पट जाती है। फलस्वरुप किसानों को टेल तक पानी नहीं मिल पाता। किसानों का कहना है कि प्रशासन सब कुछ भलीभांति जानता है इसके बावजूद समय से नहरों की सफाई नहीं कराता है। नर्सरी के सूखने पर टेल तक पहुंचाने का बयान व आश्वासन दिया जाता है। किसानों का कहना है कि जब भी कोई जनप्रतिनिधि मंच संभालता है तो किसानों की आय दोगुनी करने की बात बेधड़ करता है। लेकिन वास्तविकता देखने के लिए वे जमीन पर नहीं उतरते। यदि वह समय से किसानों की खेती से जुड़ी समस्याओं का आकलन करें और अधिकारियों से खेती से संबंधित किये जा रहे कार्यो की जानकारी लें तो निश्चित ही समय से नहरों द्वारा पानी मिल सके। लोगों का कहना है कि बुधवार को मुख्यालय पर कुछ देर बरसात होने के बाद गुरुवार की सुबह जनपद भर में बरसात होने की जानकारी मिल रही है जिससे गर्मी से तो राहत मिलते हुए दिखाई पड़ रही है। लेकिन अभी इसे राहत भरा कहना जल्दबाजी होगी। वही खेतों के लिए यह बरसात पूरी तरह से अपर्याप्त है। लोग बरसात होने के अनुमान से जरुर अपने खेतों की तरफ रुख कर दिये हैं। और जुताई कोढ़ाई में लग गये है।