पटना

चांसलर अवार्ड में शामिल नहीं हुए शिक्षा मंत्री


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी चांसलर अवार्ड वितरण समारोह में शामिल नहीं हुए। चांसलर अवार्ड वितरण समारोह का आयोजन कुलाधिपति कार्यालय ने मंगलवार को राजभवन के राजेंद्र मंडप में किया था। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने समारोह में शामिल नहीं होने के सवाल पर कहा है कि चांसलर अवार्ड की स्थापना और इसकी चयन प्रक्रिया चांसलर ऑफिस ने तय किया है। इसमें न तो सरकार से सलाह ली गयी है और न ही शिक्षा विभाग से।  पूरी प्रक्रिया कुलाधिपति कार्यालय द्वारा तय है।

दूसरी ओर चांसलर अवार्ड वितरण समारोह में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के नहीं शामिल होने के मामले को कुलपति पर लगे आरोप से जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल, उत्तर पुस्तिकाओं का गलत ढंग से टेंडर देने और इसमें बंदरबांट करने का सामने आया मामला सीधे तौर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति से जुड़ा है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह पर गलत ढंग से टेंडर देने और टेंडर में बंदरबांट के आरोप लगे हैं।

खास बात यह है कि उन पर यह आरोप एक कुलपति ने ही लगाया है। मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मो. कुद्दुस ने लगाया है कि मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहने के दौरान प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा गलत ढंग से टेंडर दिये गये और बंदरबांट की गयी। मो. कुद्दुस ने इस संबंध में कुलाधिपति एवं मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है।

प्रो. सुरेंद्र प्रताप पर आरोप है कि उन्होंने प्रभारी कुलपति रहने के दौरान सात रुपये की उत्तरपुस्तिका 16 रुपये में खरीदी। लखनऊ के बीके इंटरप्राइजेज को उत्तरपुस्तिका का टेंडर मिला था। उन्होंने उस समय एक ही साथ एक लाख 60 हजार उत्तरपुस्तिकाओं का आर्डर जारी किया था। साथ ही कुलपति ने 45 मैनपॉवर की जगह 85 मैनपॉवर के बिल के भुगतान का दवाब बनाया था। इसमें लखनऊ के एक व्यक्ति का नाम आया, जिसने राजभवन के नाम पर फोन कर भुगतान करने का दवाब बनाया। मो. कुद्दुस ने पूरे मामले की जांच की मांग की है।

इस बीच शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें, तो उत्तरपुस्तिकाओं के टेंडर मामले में सरकार की कोई सहभागिता नहीं है। आरोपों की गंभीरता के मद्देनजर इसकी जांच की भी आवश्यकता जतायी गयी है।