सम्पादकीय

चिंता बढ़ाते कोरोनाके टूटते नियम


योगेश कुमार गोयल      

सिर्फ दो सप्ताहमें ही ९० फीसदीसे भी ज्यादा व्यस्क आबादीका वैक्सीनेशन करनेवाला भूटान, कड़े निर्णयोंकी बदौलत न्यूजीलैंड, ज्यादातर आबादीका टीकाकरण होनेके कारण चीन तथा पूर्ण रूपसे वैक्सीनेशन होनेके पश्चात् अमेरिकामें भी कई जगह मास्क फ्री हो गयी हैं। अमेरिकामें तो सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा घोषणा भी की जा चुकी है कि जो लोग पूरी तरहसे कोविड वैक्सीन लगवा चुके हैं, उन्हें अब अकेले चलते समय, दौड़ते, लंबी पैदल यात्रा या बाइक चलाते समय बाहर मास्क पहननेकी आवश्यकता नहीं है। भारतमें अभी करीब एक अरब लोग टीकाकरणसे बचे हैं, अबतक करीब २५ करोड़ लोगोंको पहली खुराक मिली है जबकि पांच करोड़के कुछ ज्यादा लोगोंको ही दोनों खुराक। वैक्सीनकी उपलब्धतामें कमीके कारण धीमी गतिसे हो रहे वैक्सीनेशनसे चलते अभी उपरोक्त देशोंकी भांति कोरोना महामारीसे लड़ाईमें जीतकी घोषणा करनेमें भारतको लंबा समय लगेगा।

ऐसेमें समझदारी इसीमें है कि कोरोनासे सुरक्षाके लिए तमाम अहतियाती कदम उठाये जायं। भले ही अब दूसरी लहरका प्रकोप बेहद कम हो गया है लेकिन जिस प्रकार कोरोनाकी दूसरी लहरने भारतमें कहर बरपाया और अगले कुछ महीनोंमें तीसरी लहरका आना भी तय माना जा रहा है, ऐसेमें कोरोनासे मौतोंको रोकनेके लिए स्वास्थ्य ढांचेको तीसरी लहरसे निबटनेके लिए तैयार करनेके साथ लोगोंको भी कोरोनाके प्रसारको रोकनेके लिए सचेत रहना होगा। जगह-जगह लाकडाउन खुलते ही बाजारोंमें उमड़ती भारी भीड़ तथा हर कहीं कोरोना प्रोटोकालके टूटते नियमोंको देखते हुए कोरोनाकी अगली लहरको लेकर चिंता बढऩे लगी है। हालमें दिल्ली हाईकोर्टने तो इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए इन हालातोंपर गहरी चिंता जताते हुए कहा भी है कि यदि ऐसे ही सब चलता रहा तो कोरोनाकी तीसरी लहरको बढ़ावा मिलेगा और फिर भगवान ही हमें बचा पायगा। केन्द्र सरकारके प्रधान वैज्ञानिक सलाहकारके विजय राघवनके अनुसार भारतमें कोरोना वायरसके संक्रमणकी इतनी भीषण और लंबी दूसरी लहरकी तीव्रताका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका था। उनके मुताबिक ऐसी दूसरी लहर प्राय: पहलेकी तुलनामें छोटी होती है और ऐसी ही दूसरी लहरकी उम्मीद थी लेकिन कई छोटी-छोटी चीजोंने मिलकर इसे बड़ा बना दिया। दरअसल हमने परिस्थितियोंको काफी हल्केमें लिया, जिससे वायरसको फैलनेका मौका मिल गया। कोरोनाकी पहली लहरके बाद जैसे ही बचावके कदमोंमें ढिलाई बरती गयी, संक्रमण फिरसे फैलना शुरू हुआ, जो दूसरी खतरनाक लहरके रूपमें सामने आया। जबतक हम नयी इम्युनिटीतक पहुंचते, तबतक कई लोगोंमें नये म्यूटेंटका संक्रमण फैल गया। अब केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री डा. हर्षवर्धन कह रहे हैं कि पहली लहरके बाद हमने जो ढील दी, वही गलती हमसे फिर न हो जाय। प्रधान मंत्रीने भी हालमें लोगोंसे सतर्क रहनेकी अपील करते हुए कहा है कि खतरा अभी टला नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस अभी देशमें मौजूद है और इसके रूप बदलनेकी संभावना बनी हुई है, इसलिए तमाम सावधानियां बरतें। दूसरी लहरने देशमें बहुत कहर बरपाया है, अनेक परिवारोंने इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई है और हैरानीकी बात है कि लोग इसे इतनी आसानीसे भूलकर फिरसे पुरानी गलतियोंको दोहराते हुए कोरोनाकी तीसरी लहरके भयावह रूपको न्यौता देते प्रतीत हो रहे हैं।

कोरोनाकी तीसरी लहरको लेकर सामने आ रही नयी चेतावनियोंके बाद तो माथेपर चिंताकी लकीरें खिंचना स्वाभाविक ही है। दरअसल जहां अबतक लगभग सभी विशेषज्ञोंका मानना था कि तीसरी लहर करीब तीन महीने बाद आ सकती है लेकिन दूसरी लहरका भीषण प्रकोप देखनेके बाद भी अधिकांश लोग जिस प्रकार फिरसे पूरी तरहसे लापरवाह और बेफिक्र होकर कोरोनासे बचावके तमाम नियम-कायदे भूल गये हैं, प्रशासनकी नाक तले मास्क और सोशल डिस्टेंसिंगकी खुलकर धज्जियां उड़ रही हैं, ऐसेमें विशेषज्ञों द्वारा अब कहा जाने लगा है कि यदि लापरवाहीका यही आलम रहा तो कोरोनाकी तीसरी लहर अगले छहसे आठ सप्ताहमें ही आ सकती है। के. विजय राघवन तो पहले ही कह चुके है कि कोरोनाकी तीसरी लहरका आना तय है, जिसे रोक नहीं सकते। उनका कहना है कि चूंकि सार्स-सीओवी२ और उत्परिवर्तित हो रहा है, इसलिए कोरोनाकी नयी लहरोंके लिए तैयार रहना चाहिए।

देशमें कोरोनाकी दूसरी लहरकी तीव्रताके प्रमुख कारणोंमें कोरोनाके नये-नये वेरिएंट्सकी प्रमुख भूमिका देखी गयी। दरअसल वायरस लगातार अपना रूप बदलता रहता है। हालमें ब्राजीलके साओ पाउलो प्रांतमें कोरोना वायरसके १९ स्वरूपोंकी पहचान हुई है। हमारे यहां पिछले दिनों कहर बरपा चुका कोरोनाका डेल्टा वेरिएंट दुनियाके ८० देशोंमें फैल चुका है और इन दिनों इंगलैंडमें कहर बरपा रहा है, जहां पिछले ११ दिनोंमें ही इसके मामले दोगुने हो गये हैं। अब कोरोनाके नये स्वरूप डेल्टा प्लसकी भी भारतमें मौजूदगी दर्ज की जा रही है, जिसे आनेवाले दिनोंमें बड़े खतरेके रूपमें देखा जा रहा है। दूसरी लहरका प्रकोप थमने और प्रतिबंधोंमें ढीलके बाद कई राज्योंमें मिले कोरोनाके इस नये वेरिएंटके कुछ मामले सामने आनेके बाद तीसरी लहरसे बचनेके लिए कोरोनाके नियमोंका सख्तीसे पालन कराना बेहद जरूरी हो गया है। दरअसल वायरस जिस तेजीसे अपना स्वरूप बदल रहा है और इसके लगातार नये-नये वेरिएंट्स सामने आ रहे हैं, ऐसे बदलावोंके कारण इसके इनसानी कोशिकाओंको संक्रमित करने तथा तेजीसे संक्रमण फैलानेकी क्षमता काफी बढ़ गयी है। कोरोना संक्रमणकी तीसरी लहरके अंतर्गत मौजूदा वायरसके मुकाबले हजार गुना तेजीसे फैलनेवाले कोविडके नये-नये स्ट्रेनके मौजूद होनेकी आशंका जतायी जा रही है।

वैज्ञानिकोंका कहना है कि फिलहाल यह कह पाना संभव नहीं है कि तीसरी लहरके दौरान कोरोना वायरसके कितने और किस-किस प्रकारके म्यूटेंट हमारे सामने होंगे लेकिन साथ ही उनका यह भी कहना है कि वायरसके भले ही कैसे भी रूप हों, संक्रमणके उसके तरीकोंमें बड़े बदलावकी संभावना नहीं है। बदलते वायरसके प्रति भी प्रतिक्रिया वही है कि हमें कोविड उचित व्यवहारका पालन करनेकी आवश्यकता है, जैसे कि मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना, स्वच्छता बनाये रखना, कोई अनावश्यक मुलाकात नहीं करना। दूसरी लहरके दौरान ऑक्सीजनकी अबाधित आपूर्ति और आवश्यक दवाईयोंकी कालाबाजारी सबसे बड़ा संकट बनकर सामने आया, इसलिए तीसरी लहरसे प्रभावी तरीकेसे निबटनेके लिए दवाओं तथा ऑक्सीजन जैसी आवश्यक वस्तुके उत्पादन और उनकी अबाधित आपूर्तिकी व्यवस्था करनेके अलावा हमारे तंत्रको समय रहते अन्य सुविधाओंके लिए भी पूरी मुस्तैदीके साथ काम करना होगा। तीसरी लहर आनेकी पुष्टि होनेके बाद बहुत जरूरी है कि सरकारके प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकारकी सलाहका उपयुक्त इस्तेमाल करते हुए हम स्वयंको और देशके समूचे तंत्रको उस लहरसे निबटनेके लिए पूरी तरह तैयार करें, ताकि हमें दूसरी लहर जैसा बड़ा खामियाजा न भुगतना पड़े।