सम्पादकीय

कोरोना विस्फोट


देशमें कोरोना विस्फोट दौरमें पहुंच गया है। इससे जनता और सरकार की चिंताएं भी बढ़ गयी हैं। रविवारको जारी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयके ताजे आंकड़े स्थितिकी भयावहताकी ओर संकेत करते हैं। पिछले २४ घण्टोंके दौरान डेढ़ लाख से अधिक नये संक्रमणके मामले आये। यह अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। आने वाले दिनोंमें इसमें और वृद्धि हो सकती है। २४ घण्टोंमें कोरोनाके एक लाख ५२ हजार ८७९ नये मामले आये और ८३९ लोगोंको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। देशमें जहां कुल संक्रमितोंकी संख्या १,३३,५८,८०५ हो गये हैं वहीं अबतक कुल एक लाख ९२ हजार ७५ लोगोंकी मृत्यु हो गयी। पिछले पांच दिनोंसे लगातार एक लाखसे अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं लेकिन एक दिनके अन्दर डेढ़ लाखसे अधिक नये मरीजोंका दर्ज होना काफी गंभीर बात है। सक्रिय मरीजोंकी संख्या भी बढ़कर ११,०८,०८७ हो गयी है। पिछले २४ घण्टोंमें महाराष्टï्रमें सबसे अधिक मामले सामने आये। इसके बाद छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटकका स्थान है। विशेषज्ञोंका मानना है कि लापरवाही और रूप बदलते वायरस से संक्रमितोंकी संख्या बढ़ रही है। इसमें आयी और वृद्धि की आशंका है। संक्रमणका पीक दौर अभी नहीं आया है। इसका अर्थ यह है कि कोरोनाका कहर अभी और बढ़ेगा। दुर्भाग्य यह है कि लोग लापरवाही बरतनेमें भी सबसे आगे हैं। सरकार टीकाकरणका अभियान तेजी से चला रही है। ११ से १४ अपै्रल तक टीका उत्सव भी मनाया जा रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्योंने टीकेमें कमीकी शिकायत भी की है लेकिन केन्द्र सरकारका कहना है कि सभी राज्योंको टीके आवंटित कर दिये गये हैं। वैसे देशमें अबतक १० करोड़से अधिक लोगोंका टीकाकरण होना बड़ी उपलब्धि है लेकिन इसमें निरन्तर तेजी लानेकी जरूरत है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवारको टीका उत्सवकी शुरुआत करते हुए अधिकसे अधिक लोगोंसे टीकाकरण करानेकी अपील की है। इसके बावजूद सभी लोगोंको चाहे उन्हें टीका लगा हो या नहीं लगा हो, पूरी सतर्कता और सावधानी बरतनेकी जरूरत है। यदि कोरोना संक्रमणके विस्तारको रोकना है तो उसमें सबसे बड़ा योगदान सावधानी और सतर्कता की है क्योंकि टीका लगा लेना काफी नहीं है। टीका लगानेके बाद लापरवाही बरतनेपर संक्रमणकी आशंका बनी रहती है।

प्रवासी श्रमिकोंका संकट

कोरोना संक्रमणकी दूसरी लहरके बढ़ते प्रकोपसे प्रवासी श्रमिकोंका संकट एक बार फिर गहराता दिख रहा है। देशके कई हिस्सेमें आंशिक लाकडाउन और रात्रि कफ्र्यूसे प्रवासी श्रमिक दहशतमें हैं और वे अपने गृहनगरको वापस लौट रहे हैं।  दर असल प्रवासी मजदूरोंको डर है कि अगर अचानक लाकडाउन लग गया तो वे फिर से पहलेकी तरह फंस जायंगे और पिछले साल जैसे एक बार फिर अपने घरोंको पैदल लौटनेके लिए मजबूर हो जायंगे। महाराष्टï्र, दिल्ली, छत्तीसगढ़, पंजाब, बिहार जैसे कई राज्योंमें आंशिक लाकडाउनके साथ रात्रि कफ्र्यूकी घोषणा हो चुकी है जो आसन्न विषम परिस्थितिका संकेत है। महाराष्टï्रमें लाकडाउनके डरके चलते प्रवासी मजदूरोंका पलायन शुरू हो चुका है। सेवा क्षेत्रके कारोबारियोंके चेहरेपर हवाइयां उड़ रही हैं, क्योंकि श्रमिकोंके पलायन से उनकी आवाजाही कम होगी जिससे उत्पादनपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। संक्रमणका दूसरा प्रहार पहलेसे कहीं ज्यादा खतरनाक है जो गंभीर चिंताका विषय है। केंद्र और राज्य सरकारें चिंतित हैं लेकिन बेबस हैं। पिछले साल दो महीनेसे अधिक लम्बे लाकडाउनसे देशकी अर्थव्यवस्था चरमरायी हुई है। अब अगर दोबारा लम्बा लाकडाउन चला तो स्थिति बदसे बदतर हो सकती है। महंगी और बेरोजगारीके दूसरे दौरसे इनकार नहीं किया जा सकता है। श्रमिकोंके पलायनसे कार्यबल भी महंगा होगा और उत्पादन भी प्रभावित होगा जिससे महंगी बढ़ेगी। पिछले साल प्रवासी श्रमिक यह सोचकर अपने घर लौटे थे कि उन्हें अपने गृहनगरमें ही रोजगारके अवसर उपलब्ध होंगे। सरकारने भी आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और उन्हें फिर वापस बड़े शहरोंमें कामकी तलाशमें जाना पड़ा। अब एकबार फिर यही स्थिति उत्पन्न हो गयी है। श्रमिकोंका विश्वास डगमगा रहा है। राज्य सरकारोंकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे प्रवासी श्रमिकोंके हितमें सार्थक कदम उठावें।