सम्पादकीय

ट्विटरको दो-टूक


नये आईटी कानूनकी उपेक्षा कर रहे सोशल मीडिया मंच ट्विटरपर शिकंजा कसते हुए संसदीय समितिने शुक्रवारको कड़ी फटकर लगायी। समितिने दो-टूक कहा कि कम्पनीको हर हालमें भारतके कानूनका पालन करना ही होगा। नया आईटी कानून लागू करनेपर तनातनीके बीच ट्विटरके प्रतिनिधि संसदीय समितिके समक्ष पेश हुए थे। सवाल-जवाबके बीच ट्विटरके प्रतिनिधिने सफाई दी कि हम अपनी नीतिका पालन कर रहे हैं। इसपर समितिके सदस्योंने कड़ा रुख अपनाया और उन्हें कानूनकी नसीहत देते हुए सख्त शब्दोंमें कहा कि देशका कानून सर्वोपरि है, आपकी नीति नहीं। सवाल-जवाबके दौरान समितिका यह पूछा जाना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि भारतीय कानूनके उल्लंघनपर क्यों न आपपर जुर्माना लगाया जाय, दूसरे मीडिया प्लेटफार्मोंके लिए बड़ा सन्देश है। दरअसल नये आईटी नियमोंका पालन नहीं करनेके कारण ट्विटरने गत बुधवारको देशमें इण्टरमीडियरी प्लेटफार्मका दर्जा खो दिया है जिसके चलते ट्विटर अब अपने प्लेटफार्मपर किये गये पोस्टके लिए स्वयं जिम्मेदार होगा। हालांकि ट्विटरका कानूनी संरक्षण खत्म होनेको लेकर केन्द्र सरकारने कोई आदेश जारी नहीं किया है। आईटी मंत्रालयकी ओरसे जारी की गयी गाइडलाइनका पालन नहीं करनेके कारण कानूनी संरक्षण अपने आप खत्म हुआ है। गाजियाबादमें बुजुर्गसे मारपीटका वीडियो वायरल होनेके मामलेमें ट्विटरके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है जिसमें ट्विटर इंडिया समेत नौ आरोपितोंको नोटिस जारी किया है। इसके तहत आरोपितोंको व्यक्तिगत तौरपर थानेमें आकर पुलिसके सवालोंका जवाब देना होगा। सभी आरोपितोंके खिलाफ जमानती धाराओंमें मुकदमा दर्ज किया गया है। यदि इनके जवाब संतोषजनक नहीं हुए तो पुलिस इनकी गिरफ्तारीके लिए गैर-जमानती धारा बढ़ा सकती है। ट्विटरपर अंकुश लगानेके लिए सरकारका यह बड़ा कदम माना जा रहा है जो देशकी सुरक्षाके लिए अति महत्वपूर्ण है। ट्विटर जो स्वयंको फ्री स्पीचके ध्वजवाहकके रूपमें दिखाता है और दिशा-निर्देश माननेकी बातपर जानबूझकर इसकी अवहेलना करता है, उसके साथ सख्तीसे पेश आना समयकी मांग है। इससे सोशल मीडिया मंचका दुरुपयोग रोकने और नागरिक अधिकारोंकी रक्षामें मदद मिलेगी। सोशल मीडिया देशका कानून माननेके लिए बाध्य है। भारतीय कानूनका जो पालन नहीं करता वह अपराधी है और उसे दण्डित किया जाना चाहिए।

कश्मीरमें विकासका दौर

जम्मू-कश्मीरसे धारा ३७० हटाये जानेके सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। एक ओर जहां आतंकवादियों और उनके मददगारोंको उनके अंजामोंतक पहुंचानेका काम तेज कर पाकिस्तानके मंसूबोंको ध्वस्त किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर विकासका जाल बिछाकर वहांके लोगोंकी बेहतरीके लिए काम तेज कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीरके ९० प्रतिशत लोगोंतक केन्द्रीय योजनाओंका लाभ पहुंचने लगा है और प्रधान मंत्री विकास पैकेजके तहत अहम और प्रतिष्ठिïत परियोजनाओंका काम तेज करनेपर बल दिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीरके उपराज्यपाल मनोज सिन्हाके साथ स्वराष्टï्रमंत्री अमित शाहकी हुई समीक्षा बैठकमें विकास कार्योंको गति देनेके साथ लोगोंको रोजगार उपलब्ध करानेके लिए मनरेगाका दायरा बढ़ानेका निर्णय लोगोंमें भरोसा बढ़ानेमें सहायक होगा। इसके साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके), पश्चिमी पाकिस्तान और कश्मीरसे जम्मू आये शरणार्थियोंको जल्द शरणार्थी पैकेज उपलब्ध करानेसे उनकी स्थितिमें सुधार होगा और वह देशकी मुख्यधारासे जुड़ सकेंगे। स्वराष्टï्रमंत्री अमित शाहने कहा है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीके नेतृत्वमें सरकार जम्मू-कश्मीरके विकासके प्रति कटिबद्ध है और वहांके लोगोंका जीवन बेहतर बनानेका लगातार प्रयास किया जा रहा है जिसका परिणाम अब सामने आने लगा है। वहांकी स्थितिमें तेजीसे सुधार हुआ है, यह देशके लिए राहतकी बात है, लेकिन बीच-बीचमें पाकिस्तानके इशारेपर आतंकवादियोंकी हरकतें बढऩे लगती हैं जिसपर अंकुश लगानेके लिए आक्रामक नीतिको जारी रखना होगा, तभी विकासका असली फायदा लोगोंतक पहुंच सकेगा। पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा कि जम्मू-कश्मीरमें शान्तिबहाल हो, इसके लिए वह अपनी नापाक हरकतोंसे बाज आनेवाला नहीं है, इसलिए उसपर अपना दबाव बनाये रखना होगा। यह राष्टï्रके लिए संतोष और गर्वकी बात है कि हम जम्मू-कश्मीरमें बेहतर शुरुआतकी ओर बढ़ रहे हैं। यह जरूरी भी था, क्योंकि वहांके लोगोंका विकास ही वहांकी समस्याओंका निदान है।