गैंगेस्टर अंशु भी मुठभेड़ में ढेर
चित्रकूट/ कानपुर (शंकर यादव)। उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल में शुक्रवार को हुई गैंगवार में कुख्यात अपराधी मुकीम काला समेत तीन दुर्दान्त मारे गये। चित्रकूट जेल में शुक्रवार सुबह कैदियों के बीच खूनी टकराव हुआ। जानकारी के अनुसार 2 दिन पहले प्रशासनिक ट्रांसफर होकर आये एक कैदी की वजह से बवाल हुआ । कैदियों के बीच कई राउंड फायरिंग की गई। घटना की सूचना मिलते प्रशासनिक अमला पहुंचा लेकिन सूटर अधिकारियों के सामने भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया परिणाम स्वरूप जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की। जिला कारागार छावनी में तब्दील हो गया है। जहां पुलिस ने भी फायरिंग करने वाले बदमाश को मुठभेड में मार गिराया। वर्चस्व की इस भिडंत में दोनों तरफ से कई राउंड फायरिंगभी हुई है। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है। जेल में बंद बदमाशों के बीच गोलियां चलने की जानकारी पर आईजी के सत्यनारायण, एसपी अंकित मित्तल, डीएम शुभ्रांत शुक्ला भारी पुलिस बल के साथ पहुंच गये। जिला जेल रगौली में बंद कुख्यात डकैत अंशुल दीक्षित नामक बंदी ने फायरिंग कर मेराजुद्दीन और मुकीम उर्फ काला को मार डाला। मुकीम काला पश्चिम उत्तर प्रदेश का बडा बदमाश था। इसके बाद भारी पुलिस बल ने जेेल में अंदर ही अंशुल दीक्षित का एनकाउन्टर कर दिया । वह भी पुलिस एनकांउटरमें मारा गया । उत्तर प्रदेश में बागपत जिला जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद यह दूसरा बड़ा मामला है। चित्रकूट जेलर प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सुल्तानपुर जेल से चित्रकूट जेल में शिफ्ट होने वाले पूर्वांचल के बडे गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने झड़प के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बडे बदमाशों मुस्तकीम काला और मेराजुद्दीन और मुस्तकीम काला की मौके पर ही मौत हो गई। जेल में फायरिंग की सूचना पर भारी पुलिस ने जेल को छावनी बना दिया और पुलिस पर फायरिंग करने के प्रयास में अंशुल दीक्षित मुठभेंड में मारा गया । अंशुल दीक्षित के साथ भिडंत में मारा गया मेराजुद्दीन बांदा जेल में बंद बसपा के विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी का करीबी था। बागपत जिला जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मेराजुद्दीन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुख्तार का काम देखता था। इसमें मुस्तकीम काला भी उसकी मदद करता था। मुस्तकीम काला पश्चिम उत्तर प्रदेश का इनामी गैंगस्टर था। जेल के भीतर जिस तरह से कैदी अंशुल दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के गुर्गे मेराजुद्दीन और मुकीम काला की गोली मार कर हत्या कर दी और फिर पुलिस ने अंशुल को मार गिराया पुलिस की इस कहानी पर कई सवाल खडे हो रहें हैं। सबसे बडा सवाल ये उठता है कि जेल में बंदा अंशुल के पास असलहे कैसे पहुंचे? जेल में सभी कैदियों की बैरक अलग-अलग होती है फिर कैसे तीनों एक साथ मिले ? इसके साथ ही पुलिस ने कैसे अचानक पहुंचकर अंशुल को मार दिया। इस घटना से जेल में बदा बड़े अपराधियों में दहशत फैल गई है। जिला जेल में बंद कैदियों से कोराना महामारी को देखते हुये मिलाई पूरी तरह से बंद कर दी गई है इसके बाद भी जेल प्रशासन द्वारा चोरी छुपे से मिलाई कराया जा रहा था। इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे घटनाक्रम की जिला प्रशासन से 6 घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी है। आईजी के सत्यनारायण ने मीडिया कर्मियसों से रूबरू होकर कहा कि जिला जेल में कुख्यात अपराधियों की बीच कैसे असलहे पहुंचे और यह उसकी जांच करा रहें हैं जिसमें कई टीमें लगाई गई हैं जो जल्द जांच करके अपनी रिपोर्ट देंगे। जो भी इस मामले में दोषी पाया जायेगा उसे बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जेलर प्रकाश त्रिपाठी की कहीं न कहीं भूमिका संदिग्ध नजर आ रही उसकी भी जांच कराई जा रही है। डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने बताया कि वहीं मजिस्ट्रेटी जांच करवा रहें। बताते चले कि मुकीम काला पश्चिम उत्तर प्रदेश का बड़ा बदमाश था। वहीं पुलिस कार्रवाई में अंशुल दीक्षित भी मारा गया । सूत्रों के अनुसार मृतक बंदी कुछ दिनों पूर्व बाहरी जेल से यहां शिफ्ट हुआ था। बता दें कि मुकीम पर हत्या,लूट,रंगदारी, अपहरण, फिरौती जैसे 35 से ज्यादा मुकदमें दर्ज थे। सीतापुर जिले के मानकपुर कुडऱा बनी का मूल निवासी अंशुल दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में दाखिला लेने के बाद अपराधियों के सम्पर्क में आया। उसने अपने साथियों सुधाकर पाण्डेय, जय सिंह,संतोष सिंह व विक्रात मिश्र के सथ हत्या की कई सनसनीखेज वारदातों को अंजाम दिया । वर्ष 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध असलहों के साथ पकडा गया था। 17 अक्टूबर को पेशी से लौटते समय वह सीतापुर रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा ड्यूटी में रहे सिपाहियों को जहरीला पदार्थ खिलाकर फायरिंग करते हुये फरार हो गया तभी से फरार था। उसके बाद उसके भोपाल में मौजूदगी की सूचना पर एसटीएफ लखनऊ की टीम उसकी गिरफ्तारी के लिये वहां गई। वहां एसटीएफ व भोपाल क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम के साथ उसकी गिरफ्तारी के लिये घेराबंदी की तो उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना से एसटीएम लखनऊ के दरोगा संदीप मिश्रा को दो गोली तथा क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही राघवेंद्र को एक गोली लगी थी । दोनों गंभीर रूप से घायल हो गये थे। इस शूटर का लखनऊ में गोरखपुर के तत्कालीन सभासद फैजी की हत्या व सीएमओ हात्याकांड में भी नाम आया था, लेकिन वह मुल्जिम नहीं बना था।
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चित्रकूट गैंगवारसेे मुख्तारके दिल की बढ़ी धड़कनें
बांदा (हि.स.)। चित्रकूट जेल में शुक्रवार हुए गैंगवार के दौरान मेराजुद्दीन भी मारा गया है जो बांदा जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता है। बागपत जिला जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मेराजुद्दीन पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुख्तार का काम देख रहा था और उसके इस काम में मुस्तकीम काला भी मददगार था। इन दोनों के चित्रकूट जेल में मारे जाने से मुख्तार अंसारी की दिल की धड़कनें बढ़ गई हैं। मेराजुद्दीन 20 मार्च 2021 को वाराणसी जेल से चित्रकूट जेल ट्रांसफर हुआ था बताते चलें कि, बागपत में मुन्ना बजरंगी की जेल में हुई हत्या के बाद मुख्तार अंसारी अपने आपको भी जेल में सुरक्षित नहीं मानता है। इसी वजह से वह पंजाब की रोपड़ जेल में करीब डेढ़ साल स्वास्थ्य की दुहाई देकर बना रहा, लेकिन न्यायालय के आदेश पर उसे उत्तर प्रदेश वापस आना पड़ा। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में भी आने के बाद उसने अपनी जान को खतरा बताया है उसके परिवारी जन भी लगातार न्यायालय पर दबाव बना रहे हैं कि वह जेल में सुरक्षित नहीं है, जबकि सरकार इन आशंकाओं को निराधार बता रही है। इस समय मुख्तार अंसारी बांदा जेल की बैरक नंबर 16 में कैद है और उसे कड़ी सुरक्षा के घेरे में रखा गया है। हर किसी की पहुंच उसकी बैरक तक नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त बंदी रक्षकों की तैनाती की गई है। वही लखनऊ से सीधे सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से उस पर निगरानी की जा रही है। इसके बाद भी मुख्तार अंसारी अपने आप को सुरक्षित नहीं मान रहे हैं और इधर आज की घटना से एक बार फिर मुख्तार अंसारी कि दिल की धड़कनें बढ़ गई है।