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छत्तीसगढ़: 8 साल पहले 4 नाबालिगों समेत 8 बेकसूरों को माओवादी कहकर मार दिया


  • एक न्यायिक जांच रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मारे गए लोगों में से कोई भी माओवादी नहीं था सुरक्षाबलों के अनुसार वे आग से घिर गए थे और अपने बचाव के लिए उन्होंने उन माओवादियों पर फायरिंग की

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के एडेसमेट्टा में सुरक्षाकर्मियों द्वारा चार नाबालिगों सहित आठ लोगों की मुठभेड़ के आठ सालों बाद इस रहस्य का खुलासा हुआ जिसने पूरे रक्षातंत्र के साथ साथ सुरक्षाकर्मियों पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल को सौंपी गई एक न्यायिक जांच रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मारे गए लोगों में से कोई भी माओवादी नहीं था, और वे सभी निहत्थे थे।

न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल जोकि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, उनकी रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा कर्मियों ने ‘घबराहट में गोलियां चलाई होंगी” ऐसा निष्कर्ष निकाला गया है।

न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल ने कहा कि मारे गए आदिवासी निहत्थे थे जिनपर 44 राउंड गोलियां चलाई गईं थी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई इस घटना की अलग जांच कर रही है।

कब हुई थी एडेसमेटा की घटना?

17-18 मई 2013 की रात को हुई यह घटना सुकमा जिले में झीरम घाटी की घटना से ठीक एक सप्ताह पहले हुई थी जिसमें कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग माओवादी हमले में मारे गए थे।

पुलिस ने एडेसमेटा में माओवादियों की मौजूदगी से इनकार किया था लेकिन कोबरा दस्ते ने एक माओवादी ठिकाने के होने का दावा किया था।