डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
कोरोनाकी दूसरी लहरकी भयावहताका इसीसे अन्दाज लगाया जा सकता है कि देशमें पहली बार एक दिनमें दो लाख ७३ हजार नये संक्रमणके मामले आये हैं तो २४ घंटोंमें १६१९ संक्रमितोंकी मौत दिल दहलानेवाली है। ब्राजीलके बाद अमेरिकाको पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबरपर हम आ गये हैं। कमोबेस देशके सभी राज्योंमें स्थिति बेकाबू होती जा रही है। ऐसेंमें राजस्थानकी अशोक गहलोत सरकार द्वारा कोरोना महामारीके इस दौरसे निबटनेमें जनभागीदारी तय करनेका जो नायाब नुस्का रखा है उसका बिना किसी आलोचना-प्रत्यालोचनाके स्वागत किया जाना चाहिए। इससे पहले कोरोनाके पहले दौरमें कोरोनासे निबटनेके लिए अपनाया गया भीलवाड़ा मॉडल भी देशमें ही नहीं विदेशोंतकमें सराहा जाता रहा है। स्वराष्ट्रमंत्री अमित शाहने जहां राज्योंको लॉकडाउन लगाने या न लगानेका निर्णय स्वविवेकपर करनेको कहा है वहीं राजस्थानकी सरकारने १९ अप्रैलसे ३ मईतक जन-अनुशासन पखवाड़ा मनानेका निर्णय किया है। यह इस मायनेमें महत्वपूर्ण हो जाता है कि अन्य प्रदेशोंकी तरह राजस्थानमें भी हालात गंभीर होते जा रहे हैं। रविवारको ही प्रदेशमें दस हजार नये रोगी और ४२ मौतकी सूचनाएं आयी हैं।
जब सारी दुनिया यह मान चुकी है कि कोरोनासे बचावका सर्वाधिक कारगर उपाय आम आदमीके हाथमें ही है और उसे कोरोना प्रोटोकालके नामसे बच्चा-बच्चा जानने लगा है और वह है दो गजकी दूरी-मॉस्क जरूरी। बार-बार हाथ धोना और सेनेटाइजरका उपयोग। यह सब जानते हुए भी पिछले दिनों जो लापरवाही आमजन द्वारा बरती गयी है उसके दुष्परिणाम सामने हैं। कुछ दिनों पहले जब अस्पतालमें गिने-चुने कोरोना संक्रमित ही दिखने लगे थे एकाएक अप्रेल माहमें इसमें तेजीसे वृद्धि हुई है और संक्रमितोंकी संख्याने पुराने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडू, पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़ आदिमें हालात बिगड़ते जा रहे हैं। देशमें पहली बार ऑक्सीजनकी कमी देखी जा रही है। ऐसेमें राजस्थान सरकार लॉकडाउनका जो नया रूप लेकर आयी है वह अपने आपमें इस मायनेमें अनूठा हो जाता है कि लॉकडाउनके प्रावधान भी है, सख्ती भी है, उद्योगोंको बचानेका प्रयास भी है, आवश्यक सेवाओंको अनवरत चालू रखनेको संकल्प भी है तो लोगोंको आम जरूरतकी आवश्यक वस्तुएं यथा दवा, राशन सामग्री, खाने-पीनेका सामान, फल, साग-सब्जी, दूध, यहांतक कि मिठाई आदिकी उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है। बस इसके साथ जोड़ा गया है तो वहीं जो आम आदमी जानता भी है और अपनी बुद्धिमानीका परिचय देते हुए थोकके भाव वाट्सएपपर प्रचारित भी कर रहा है। आम आदमी जो कर नहीं रहा है वह है दूसरोंको दिये जा रहे ज्ञानकी स्वयं द्वारा पालना। इसीको ध्यानमें रखते हुए १९ अप्रैलसे ३ मईतकके लॉकडाउनको जन-अनुशासन पखवाड़ा नाम दिया जाना इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि लोगोंमें कमसे कम समझ तो आयगी। अनावश्यक रूपसे लोग घरसे नहीं निकलेंगे। ऑफिसों एवं बाजारमें जमावड़ा नहीं होगा। अति आवश्यक सेवाओंको छोड़कर मॉल्स एवं अन्य प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। अनावश्यक आवागमन नहीं होगा। लोग घरमें रहेंगे तो कोरोना संक्रमण रुकेगा। अब यह भी माना जाने लगा है कि कोरोना संक्रमितके हवामें सांस छोडऩेके साथ ही यह वाइरस हवाके माध्यमसे तेजीसे फैल रहा है। अब तो एकमतसे यह स्वीकारा जा रहा है कि पहले सख्ती की गयी होती या कोरोना प्रोटोकाल खास तौरसे मास्ककी सही उपयोग, सोशल डिस्टेसिंग आदिकी पालना आम आदमी द्वारा की जाती रहती तो आज कोरोनाकी यह दूसरी लहर इस भयावहताके साथ नहीं देखनी पड़ती। यही कारण है कि सरकारने लॉकडाउनको भी गांधीवादी जामा पहनाते हुए स्वपर अनुशासनका संदेश दिया है। इसीलिए इसे जन-अनुशासन पखवाड़ा नाम दिया गया है। खास बात यह है कि एक और कोरोना प्रोटोकालकी सख्तीसे पालनाका संदेश दिया हैं वहीं उद्योग-धंधोंको कोरोना प्रोटोकालकी पालना करते हुए चालू रखनेका निर्णय कर मजदूरोंके पलायनको रोकनेका सार्थक प्रयास किया है। लॉकडाउनकी संभावनाओं एवं अफवाहोंके चलते देशके कई हिस्सोंसे प्रवासी श्रमिकोंके पलायनकी सिलसिला शुरू होने लगा है। बिहार और उत्तर प्रदेशके श्रमिक अपने यहां लौटने लगे हैं। सालभर पहलेके प्रवासी श्रमिकोंके हजारों किलोमीटर पैदल चलते हुए अपने घर लौटनेके रोंगटें खड़े करनेवाली तस्वीरें सामने हैं। ऐसेमें राजस्थानकी सरकारने उद्योगोंको चालू रखनेका निर्णय कर श्रमिकोंमें विश्वास पैदा किया है। इसी तरहसे राजमार्गोंपर ढाबों, रिपेयरिंगकी दुकानों एवं ट्रांसपोर्ट वाहनोंके निर्बाध आवागमनकी व्यवस्था की है। हां, समयकी मांग एवं आवश्यकताको देखते हुए ऑक्सीजनकी बढ़ती मांगको देखते हुए जीवन रक्षाके लिए उद्योगोंके स्थानपर अस्पतालोंको उपलब्ध करानेका निर्णय किया है। कोरोना संक्रमण बढऩेके साथ ही ऑक्सीजनकी मांगमें जबरदस्त वृद्धि हुई है। आक्सीजनके अभावमें लोगोंके दम तोडऩेके समाचार आम होते जा रहे हैं। पहली बार आक्सीजन सिलेण्डरोंकी देशव्यापी कमी देखी जा रही है। इस सबके साथ ही सरकारने टीकाकरणकी निरन्तरता बनाये रखनेकी व्यवस्था की है। जन अनुशासन पखवाड़ेमें टीकाकरण निर्बाध रूपसे जारी रहेगा।
कोरोनाकी दूसरी लहरको देखते हुए बिना किसी आलोचना प्रत्यालोचनाके केन्द्र एवं राज्य सरकारोंको एकजुट होकर संक्रमणको फैलनेसे रोकनेके समग्र प्रयास करने होंगे। लॉकडाउनके स्थानपर जन-अनुशासनके नामपर लोगोंमें समझ आती है तो इसे सकारात्मक माना जाना चाहिए। लोगोंको निजपर शासन यानी कि अनुशासनकी स्वपालनापर जोर देना होगा। यदि हम घरसे शुरुआत करते हैं और मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंस, बार-बार हाथ धोने, सेनेटाइज करने जैसे सहज उपायोंको अपनाते हैं तो इस कोरोना रूपी राक्षससे आसानीसे बच सकते हैं। यही संदेश है और इसीका पालना हमें दूसरोंको शिक्षा देनेके स्थानपर अपने स्तरपर करनी है।