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जब वैक्सीन ही नहीं है, तो फोन में क्यों बजा रहे हैं कोरोना कॉलर ट्यून, दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा


  • नई दिल्ली, : भारत में एक मई से जब से 18+ वालों को वैक्सीनेट करने का अभियान चल रहा है, कोरोना वायरस टीकाकरण की रफ्तार धीमी हो गई है। देश के लगभग हर राज्यों की शिकायत है कि उनके यहां वैक्सीन के डोज नहीं है। इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना कॉलर ट्यून पर नाराजगी जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (13 मई) को कहा कि हमें हैरानी है कि केंद्र सरकार ने कॉलर ट्यून का परेशान करने वाला संदेश को अभी तक क्यों नहीं बदला है, जिसमें बार-बार लोगों को टीका लगवाने के लिए कहा जाता है। जबिक असल में वैक्सीन है ही नहीं। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने केंद्र के वकीलों से कहा, ”फोन करने पर बार-बार परेशान करने वाली ट्यून सुनाई पड़ती है कि वैक्सीन लगवाइए, कौन लगाएगा वैक्सीन, जब ये है ही नहीं तो।”

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, “आप असल में लोगों को वैक्सीव नहीं लगा रहे हैं, लेकिन आप अभी भी कॉलर ट्यून में कहते हैं कि वैक्सीन लगवाइए। कहां से लगवाएं वैक्सीन, जब कहीं भी वैक्सीन है नहीं तो। इस संदेश का क्या मतलब है।”

क्या आप इस कॉलर ट्यून को 10 सालों तक चलाएंगे: दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, ”हमें नहीं पता कि ये सब कितना लंबा चलने वाला है। वो भी तब जब आपके पास वैक्सीन ही नहीं है। इस तरह के मैसेज का क्या मतलब है, बताइए, सरकार को और भी मैसेज बनाने चाहिए। ये नहीं कि एक ही मैसेज बनाया और किसी भी परिस्थिति में उसी को चलाते रहें। ऐसा लग रहा है आप इस मैसेज को 10 सालों तक चलाएंगे। ठीक वैसे ही जैसे जब एक एक टेप खराब नहीं हो जाता, हमे उसे चलाना नहीं छोड़ते हैं।”