- श्रीनगर, । जम्मू कश्मीर में स्थानिय नागरिकों पर हाल ही में होने वाले हमलों ने हिंदू और सिख समुदाय के लोगों में दहशत पैदा कर दी है, जिसका नतीजा है कि घाटी में एकबार फिर पलायन की बातें होना शुरू हो गई हैं। हालांकि जम्मू कश्मीर प्रशासन लोगों को लगातार ये आश्वासन दे रहा है कि पलायन की नौबत नहीं आएगी। जम्मू कश्मीर सरकार ने प्रवासी कर्मचारियों से कहा है कि घाटी को नहीं छोड़ें। प्रशासन ने ये वॉर्निंग दी है कि अगर ड्यूटी से उनकी अनुपस्थिति होती है तो नियमों के मुताबिक उनपर कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने कर्मचारियों को घाटी नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है।
‘पलायन की सोच रहे लोगों की सेफ्टी सुनिश्चित हो’
मंडलायुक्त अध्यक्ष ने सभी डिप्टी कमिश्नर और एसएसपी को ये निर्देश दिए हैं कि 2-3 दिनों के भीतर सभी राजनीतिक दलों, प्रतिनिधियों और नेताओं के साथ वन-टू-वन मीटिंग की जाए और उनकी वास्तविक स्थिति पर विचार किया जाएगा। साथ ही घाटी से पलायन की सोच रहे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। ये फैसला 9 अक्टूबर को कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर पांडुरंग के पोल की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में लिया गया। मीटिंग में ये तय हुआ कि किसी भी प्रवासी कर्मचारी को जिला या फिर घाटी छोड़ने की आवश्यकता नहीं है, जो कोई भी अपनी ड्यूटी पर अनुपस्थित पाया गया, उससे सेवा नियमों के अनुसार निपटा जाएगा।