सम्पादकीय

जवानोंकी शहादत


नक्सलप्रभावित राज्य छत्तीसगढ़के बीजापुर और सुकमा जिलेके सीमावर्ती क्षेत्रमें शनिवारको सुरक्षाबलों और नक्सलियोंके बीच हुई मुठभेड़में २२ जवानोंका शहीद होना अत्यन्त ही दुखद और हृदयविदारक घटना है। इस मुठभेड़में यद्यपि नौ से अधिक नक्सली भी मारे गये हैं और कई जवान अभी लापता हैं। ३१ जवान घायल हुए हैं, जिनमें कुछ की हालत काफी गंभीर है। इस क्षेत्रमें सुरक्षाबलोंकी संयुक्त टीम माओवादी नक्सलियोंके खिलाफ सघन अभियान चला रही थी तभी मुठभेड़ शुरू हो गयी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने इस घटनापर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि जवानोंका बलिदान व्यर्थ नहीं जायगा। स्वराष्टï्रमंत्री अमित शाहने भी मुख्य मंत्री भूपेश बघेलसे फोनपर वार्ताके दौरान राज्यमें नक्सली गतिविधियोंसे निबटनेमें हर सम्भव मदद देनेका भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि शहीद जवानोंके शौर्यको भुलाया नहीं जायगा। शांति और प्रगतिके दुश्मनोंके खिलाफ सरकार अपनी लड़ाई जारी रखेगी। मुख्य मंत्री भूपेश बघेलने कहा है कि नक्सलियोंके खिलाफ सुरक्षाबल और तेजी अभियान चलायंगे। वस्तुत: २२ जवानोंकी शहादत बड़ी घटना है और इससे राष्टï्रकी अपूरणीय क्षति हुई है। खुफिया एजेंसियोंने पहले ही सतर्क कर दिया था कि पिछले कुछ दिनोंसे नक्सली बीजापुर, सुकमा और कांकेरमें कैंप कर रहे हैं, जिनकी संख्या २०० से ३०० के बीच है। इनमें कई डिविजनल कमाण्डर भी शामिल हैं। नक्सली आईईडी प्लाण्ट करनेकी फिराकमें थे। जंगलोंमें बनाये जा रहे सुरक्षाबलोंके शिविरोंको निशाना बनानेकी भी साजिश रची गयी थी। सुरक्षाबलोंकी संयुक्त टीमने काफी सतर्कताके साथ अपना अभियान चलाया लेकिन मुठभेड़में २२ जवानोंकी शहादतका कोई अनुमान नहीं था। नक्सलियोंकी बढ़ती हिंसक गतिविधियां देशके लिए बड़ा खतरा हैं। जितने भी नक्सली हिंसासे प्रभावित राज्य हैं उनके लिए समन्वित रणनीति बनानेकी आवश्यकता है। इसमें केन्द्र और राज्योंको मिलजुलकर ठोस कदम आगे बढ़ाना होगा। इस बड़ी घटनाके बाद अब और भी सतर्कता बरतनेकी जरूरत है, क्योंकि नक्सली फिर किसी घटनाको अंजाम दे सकते हैं। इसलिए उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिए अभियान सतत जारी रहना चाहिए।

निगरानी तंत्र आवश्यक

कोरोना संक्रमणके निरन्तर बढ़ते मामलोंसे सरकारकी भी चिंता बढ़ गयी है। रविवारको पिछले २४ घण्टोंके दौरान ९३,२४९ नये मामले सामने आनेसे चिंता बढऩा स्वाभाविक है क्योंकि सितम्बरके बाद एक दिनके अन्दर यह अबतकका सर्वाधिक आंकड़ा है। विगत १९ सितम्बर २०२० को कुल ९३,३३७ मामले सामने आये थे। रविवारको पिछले २४ घण्टेके दौरान ५१३ लोगोंकी मृत्यु भी हो गयी। स्थितिकी गंभीरताको देखते हुए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने रविवारको आपात बैठक बुलायी, जिसमें उन्होंने वर्तमान स्थिति और टीकाकरण अभियानकी समीक्षा की। देशमें अबतक सात करोड़ ५९ लाख ७९ हजारसे अधिक लोगोंको टीका लगाया जा चुका है। टीकाकरण अभियानमें विभिन्न केन्द्रोंसे गड़बड़ीकी शिकायतोंको सरकारने गम्भीरतासे लिया है और इसे रोकनेके लिए सख्त कदम भी उठाया है। यह शिकायत हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रण्टलाइन वर्कर्ससे सम्बन्धित है, जिनके माध्यमसे फर्जी तरीकेसे पंजीकरण कराये गये हैं। सरकारने नये पंजीकरणपर रोक लगा दी है। राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशोंको लिखे गये एक पत्रमें स्वास्थ्य मंत्रालयके सचिव राजेश भूषणने कहा है कि कुछ अयोग्य लाभार्थियोंको स्वास्थ्य सेवा और फ्रंट लाइन वर्कर्सके रूपमें पंजीकृत किया जा रहा है और निर्धारित दिशा निर्देशोंका पूरी तरहसे उल्लंघनकर टीकाकरण किया जा रहा है। केन्द्र सरकारने इसपर रोक लगाकर उचित कदम उठाया है लेकिन इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगोंको दण्डित भी किया जाना चाहिए। जो फर्जी तरीकेसे पंजीकरण करानेमें संलिप्त है। केन्द्र सरकारका पूरा ध्यान टीकाकरण अभियानको तेज गति प्रदान करनेपर है लेकिन इसके लिए निगरानी तंत्रको भी मजबूत और सक्रिय करना पड़ेगा तभी अभियानको सफल बनाया जा सकता है। टीकाकरणमें किसी भी स्तरपर किसी प्रकारकी गड़बड़ी नहीं होने पाये, इसके लिए सम्बन्धित अधिकारियों और कर्मचारियोंकी जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। केवल सरकारी केन्द्रोंपर ही नहीं, बल्कि उन निजी अस्पतालोंपर भी नजर रखनेकी जरूरत है जिन्हें टीकाकरणके लिए अधिकृत किया गया है। इसके लिए हर जिलेमें निगरानी दस्ताका गठन किया जाना चाहिए।