जहानाबाद। बाजार में एक माह के बाद जान आई, लेकिन, लोगों ने अपनी सेहत और जान से खिलवाड़ करना भी शुरू कर दिया। भीड़ इतनी अधिक थी कि सोशल डिस्टेसिंग का तो कहीं नामोनिशान नहीं दिख रहा था। 25 फ़ीसदी लोग ही कायदे से मुंह और नाक को मास्क से ढंके हुए थे। आधे लोगों का मास्क या तो मुंह पर या ठूडी पर था। वहीं एक चौथाई ग्राहक बिना मास्क के ही दिखे। अधिकांश दुकानदारों ने तो जैसे मुंह और नाक को ढंके रखना नियम विरुद्ध ही समझ रखा है।
सट्टी मोड़, सब्जी मंडी रोड, खचिया टोला, शिवाजी पथ आदि जगहों पर लोगों का कंधा एक-दूसरे से सट रहा था। दुकानों में भी उतनी ही भीड़ दिखी। दुकानों में सिर्फ नुमाईश के लिए हैंड सेनिटाईजर रखा हुआ था। लेकिन, न तो दुकानदार उसे ग्राहकों की हथेली पर दे रहे थे और न ही ग्राहकों की भी इसमें रूची थी। बाजार में जहां-तहां पान और गुटखा खाकर थूकना भी जारी रहा। ऐसा लग रहा था जैसे आज ही दो चार माह के लिए सामानों की खरीदारी कर लेनी हो। प्रत्येक व्यक्ति जल्दीबाजी में था और यही जल्दीबाजी उसे भीड़ का हिस्सा भी बनाये हुए थी।
सोशल डिस्टेसिंग तथा कोरोना गाइड लाइन के अनुपालन के लिए अधिकारियों और जवानों में कहीं कोई तत्परता नहीं दिखी। बाजार में कुछ स्थानों पर डंडा लिए हुए जवान तैनात दिखे। लेकिन, वे भीड़ को तीतर-बीतर करने के बजाय दुकान के आगे रखे स्टूल पर आराम फ़रमाते दिखे।