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- अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं बच्चे
- आरटीई के नियमों का जिले में हो रहा उल्लंघन
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जहानाबाद। विभागीय सुस्ती के कारण विद्यालयों में बंद पड़ा है मध्याह्न भोजन योजना। पिछले दो वर्ष से देश दुनिया में फैले कोरोना संक्रमण के करना विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद योजना बंद पड़ी थी। वहीं सरकार व विभाग की ओर से एमडीएम संचालन व्यवस्था में परिवर्तन कर इसे फिर से शुरू करने का निर्देश जारी किया गया है। इसे लेकर 28 फरवरी से सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में इस योजना को चालू करने आदेश पारित किया गया था। परन्तु विभागीय अधिकारियों की सुस्ती व लापरवाही के कारण जिले के सैकड़ों विद्यालयों में सरकार के इस आदेश का पालन अभी तक नहीं हो पाया है। निर्धारित तिथि के चार दिन बीत जाने के बाद भी कई विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना को चालू नहीं किया जा सका है। इससे जिले में आरटीई के नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है।
साथ ही अधिकारियों के लापरवाही का सीधा खामियाजा जिले के हजारों छात्र छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार विद्यालयों में चावल का अभाव व कैशलेस व्यवस्था सुचारू रूप से शुरू नही होने से मध्याह्न भोजन योजना की निर्धारित तिथि से शुरुआत नही हो सकी है। विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने बताया कि कैशलेश व्यवस्था में वेंडरों द्वारा जीएसटी नही दिए जाने तथा चावल की आपूर्ति नहीं किए जाने से एमडीएम शुरू नही हो सका है। योजना को शुरू करने के लिए विभाग की ओर से तिथि निर्धारित की गई थी, लेकिन जिले में इसे लेकर समय से कोई तैयारी नही की गई। इस कारण अब योजना को चालू करने में देरी हो रही है।
बता दें कि मध्याह्न भोजन योजना में मनमानी व फर्जीवाड़े पर नकेल लगाने के लिए इस बार एमडीएम को कैशलेस कर दिया गया है। कक्षा एक से पांच तक 4.97 रुपये एवं छह से आठ तक 7.45 रुपये के हिसाब से विद्यालय शिक्षा समिति के खाते में पहले अग्रिम राशि दी जाती थी। अब सरकारी विद्यालयों में तेल, मसाला, हल्दी, नमक, फल, सब्जी आदि जरूरत का सामान वेंडर उपलब्ध कराएगा। क्रय सामग्री का वाउचर उपलब्ध कराने के बाद वेंडर के खाते में पीएफएमएस माध्यम से सीधा भुगतान किया जाएगा। इसके अलावे बीआरपी सहित अन्य अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे।