पटना

जाले: अन्नदाता किसान के बदौलत ही संसार चल रहा है : जीवेश कुमार


जाले (दरभंगा)(आससे)।  किसानों को भारतीय सभ्यता में भगवान का दर्जा दिया गया है। अन्नदाता के बदौलत ही संसार चल रहा है। वेदों के मुताबिक राजा का पहला दायित्व कृषि व्यवस्था को बेहतर करना होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस बात को ध्यान में रखकर किसानों के लिए कई विशेष योजनाओं को अमलीजामा पहनाया है। अब तक बिहार के किसानों को 72 सौ करोड़ रुपये उनके खाते में विभिन्न योजनाओं के मद में दिए जा चुके हैं।

उक्त बातें शनिवार को श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जीवेश कुमार ने कही। जलवायु अनुकूल खेती पर आयोजित दो दिवसीय मेला का शुभारंभ करते मंत्री श्री कुमार ने कृषि विज्ञान केंद्र जाले के वैज्ञानिकों व जिले के विभिन्न प्रखण्डों से पहुचे किसानों को प्रोत्साहित किया एवम कहा कि निश्चय ही वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र ने उत्कृष्ट कार्यों को कर दिखाया है, जो सराहनीय है।

प्रक्षेत्र के परिभ्रमण व किसानों के उत्पाद प्रदर्शनी का अवलोकन करने के उपरांत पंडाल में पहुचे मंत्री श्री कुमार ने कहा कि जल्द ही केविके जाले के परिसर में एक ऑडिटोरियम का निर्माण कराया जाएगा, जिससे यहां होने वाले कार्यक्रम के संचालन सुगमता से हो सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है, जिसमें किसान अपने एक के फसल से इथानौल बनाकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय पूसा के डिप्टी डायरेक्टर ट्रेनिंग के डॉ. अनुपमा कुमारी के संचालन में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए निदेशक अनुसंधान डॉ. मिथिलेश कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से 40 प्रतिशत उपज घटेगी। यदि धरती का तापमान एक डिग्री बढा तो रब्बी फसल खाशकर गेंहू में 10 प्रतिशत अधिक पानी की आवश्यकता होगी। जलवायु अनुकूल खेती के लिए वैज्ञानिकों द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण काफी लाभकारी साबित हो रहा है। ऐसे में निश्चय ही कृषि विज्ञान केंद्र को सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने कहा कि लीची की फसल मिथिलांचल में क्रांति लाएगी। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचने के लिए किसानों को विविधीकरण को अपनाकर विभिन्न फसलों के माध्यम से लाभ प्राप्त करने का जरिया तैयार करना चाहिए।

जिला कृषि पदाधिकारी दरभंगा राधारमण ने कहा कि किसानों को जलवायु अनुकूल खेती पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। बिहार के सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को जलवायु अनुकूल खेती पर विशेष ध्यान देने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है। गौरतलब है कि पर्यावरण में व्याप्त प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन की गति दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

मेले में दरभंगा के किसानों के लिए विभिन्न उपयोगी बीज, पौधे व लघु अभियंत्रिकी यंत्र अलग-अलग स्टॉल पर लगे थे। इच्छुक किसानो ने उचित मूल्य पर उपकरण, उत्पाद व पेड़ पौधे को खरीदा। मेले में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक पद्मश्री से सम्मानित किसान चाची व पद्मश्री से सम्मानित राजकुमारी देवी भी मौजूद थी। अंतरराष्ट्रीय कंपनी व राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रों के स्टाल पर किसानो की भीड़ लगी रही।

तीरहुत कृषि महाविद्यालय ढोली के स्टॉल में मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, मसाला, फसलें, कंदमूल फसलें एवं तकनीक का प्रदर्शन किया गया।वहीं पशुपालन विभाग जाले की ओर से पशु चिकित्सक डॉ. दिलीप कुमार झा के नेतृत्व में पशुपालकों के लिए स्टॉल लगाया गया था।मेला का उद्घाटन आत्मा के निदेशक पूर्णेन्दु नाथ झा, जोगियारा के मुखिया श्यामा कुमार सिंह सुमन, समाजसेवी गोविंद सिंह, जौहर इमाम बेग, काजी बहेरा के मुखिया महेश प्रसाद, मुखिया संघ अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र प्रसाद सहित क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने सामूहिक रूप से समारोहपूर्वक दीप प्रज्वलित कर किया।

मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दिव्याशु शेखर, डॉ. ए पी राकेश, डॉ.आरपी प्रसाद, डॉ. सीमा प्रधान, अंबा कुमारी सहित सभी कर्मी मौजूद थे। केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने केविके जाले,आत्मा दरभंगा व कृषि विभाग दरभंगा के द्वारा आयोजित दो दिवसीय किसान मेले में पहुचे आगत अतिथियों का स्वागत मिथिला के परम्परानुसार किया।