जाले (दरभंगा)(आससे)। बिहार सरकार के जलवायु के अनुकूल खेती परियोजना अंतर्गत आने वाले जिला के पाँच गाँव के किसानों के खेतों का शुक्रवार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसंधान निदेशक डॉ. मिथिलेश कुमार, सहायक अनुसंधान निदेशक डॉ. एन के सिंह एवं परियोजना निदेशक डॉ. आरके झा ने निरीक्षण किया। इस दौरान वे सिंधवाड़ा प्रखंड के सनहपुर, जाले के रतनपुर, ब्रह्मपुर एवं कृषि विज्ञान केंद्र के खेतों में लगे फसलों का सूक्ष्म निरीक्षण किया एवम शुन्य जुताई के तहत किए गए तेलहन, दलहन एवं गेहूँ के खेतों को देखा।
मौके पर उपस्थित स्थानीय किसान गोपी कृष्ण ठाकुर, राजेश कुमार, राज सिंघानिया, कन्हैया कुमार, मुरारी ठाकुर आदि से फसल एवं उत्पादन के संबंध में अलग-अलग चर्चा किया। इस संदर्भ में डॉ.मिथलेश ने बताया कि अमूमन किसान गेहूँ में 21 से 25 दिनों पर ही पहला पटवन देते आ रहे हैं, मगर शुन्य जुताई वाले खेतों में 18 से 20 दिन पर ही पहला पटवन देना चाहिए। शुन्य जुताई की उपलब्धि पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि बीज को अधिक गहराई में बुआई करने पर उसमें अच्छा टेलरिंग नहीं हो पाता है।
उन्होंने तेलहन के बीज को डेढ़ से दो ईंच गहराई पर जीरो ट्रिलेज से बुआई करना चाहिए, वहीं गेहूँ की बुआई ढ़ाई से तीन ईंच गहराई पर तथा दलहन में चना की बुआई पाँच ईंच तक की गहराई में बुआई करना चाहिए। इस अवसर पर उपस्थित किसानों ने बताया कि शुन्य जुताई में खेत की मिट्टी गीला रहने पर लगातार बीज एवं उर्वरक नहीं गिरता है। इसके अलावा और कोई परेशानी नहीं थी। डॉ. एन के सिंह ने किसानों को समझाते हुए कहा कि पहले बार किसी भी यंत्र के ऊपयोग में परेशानी होती ही है। अब आप सभी किसानों को जीरो ट्रिलेज मशीन को चलाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
भ्रमण कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र के जलवायु अनुकूल खेती परियोजना के वरीय शोधकर्ता अभय रंजन भी थे। ब्रह्मपुर गाँव पहुँचकर सभी लोगों ने डॉ. विजय भारद्वाज के बागीचा में हुए दलहन एवं तेलहन की फसल को देखा। इसके बाद निरीक्षण दल कृषि विज्ञान केंद्र जाले के लिए रवाना हुए।
केविके पहुचकर केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर के साथ प्रक्षेत्र का भ्रमण किया एवम केंद्र में चल रहे 15 दिवसीय उर्वरक अनुज्ञप्ति प्रशिक्षण एवं 200 घंटे का मशरूम स्पर्म उत्पादन सर पे चल रहे दक्षता प्रशिक्षण के प्रतिभागियों से मिलकर प्रशिक्षण संबंधी जानकारी लिया। इस दौरान उन्होंने आधुनिक कृषि में समेकित खाद प्रबंधन की उपयोगिता की जानकारी दी।