पटना

पाठ्यक्रम से नहीं निकाले जायेंगे जेपी-लोहिया


      • मुख्यमंत्री के दखल के बाद कुलाधिपति तक पहुंचा मामला
      • पाठ्यक्रम में ऐसे किसी बदलाव की इजाजत नहीं : विजय चौधरी
      • जेपी यूनिवर्सिटी का मामला सामने आने के बाद पड़ताल के आदेश

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया के राजनीतिक विचार एवं दर्शन नहीं निकाले जायेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दखल के बाद शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मामले को कुलाधिपति के संज्ञान में लाया है। कुलाधिपति के पटना लौटते ही समस्या का निराकरण हो जायेगा। शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने कहा है कि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में ऐसे किसी बदलाव की इजाजत नहीं दी जायेगी।

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि लोकनायक जयप्रकाश विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया के राजनीतिक विचार एवं दर्शन निकाले जाने को सरकार एवं शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है। इस बात के प्रकाश में आते ही शिक्षा मंत्री के निर्देश पर अपर मुख्यसचिव एवं उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा कुलपति एवं कुलसचिव को स्थिति स्पष्टï करने को कहा गया। संतोषजनक जानकारी नहीं मिलने पर विश्वविद्यालय के उन दोनों पदाधिकारियों को शिक्षा विभाग में बुला कर स्थिति स्पष्टï करने को कहा गया।

शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने स्पष्ट किया कि सरकार और विभाग की नजर में यह अनुचित तो है ही, साथ ही साथ इसमें सामान्य परंपरा का भी पालन नहीं किया गया है। यह स्थापित मान्यता है कि बिहार के विश्वविद्यालय से संबंधित कोई भी नियम, परिनियम, ऑर्डिनेन्स (जिसमें पाठ्यक्रम भी शामिल है) आदि सरकार के बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की सहमति के बाद ही लागू किया जाता है, जिसका पालन नहीं किया गया।

यह मामला मीडिया के माध्यम से आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस पर घोर आश्चर्य एवं क्षोभ व्यक्त किया एवं तत्काल इसके निराकरण का निर्देश दिया। शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने बताया कि यह मामला कुलाधिपति के भी संज्ञान में लाया गया है। फिलहाल वे राज्य से बाहर हैं और वापस आकर इसमें आवश्यक सुधार कराने का उन्होंने भरोसा दिलाया है।

शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से भी पाठ्यक्रमों में पिछले दिनों में किये गये बदलाव की सूचना एकत्रित की जाय। अगर दूसरे किसी विश्वविद्यालय में भी इस तरह की कोई अनुचित एवं अनियमित बात सामने आती है, तो उसमें भी आवश्यक सुधार की व्यवस्था की जायेगी। बिहार की जनभावना एवं सरकार की प्राथमिकताओं के विरुद्ध विश्वविद्यालयों के विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों में किये गये बदलाव की इजाजत नहीं दी जा सकती है।