ओशो
जन्म मिलता है, जीवन निर्मित करना होता है। इसीलिए मनुष्यको शिक्षाकी जरूरत है। शिक्षाका एक ही अर्थ है कि हम जीवनकी कला सीख सकें। एक कहानी है। एक घरमें बहुत दिनोंसे एक वीणा रखी थी। उस घरके लोग भूल गये थे, उस वीणाका उपयोग। पीढिय़ों पहले कभी कोई उस वीणाको बजाता रहा होगा। अब तो कभी कोई भूलसे बच्चा उसके तार छेड़ देता था तो घरके लोग नाराज होते थे। कभी कोई बिल्ली छलांग लगाकर उस वीणाको गिरा देती तो आधी रातमें उसके तार झनझना जाते, घरके लोगोंकी नींद टूट जाती। वह वीणा एक उपद्रवका कारण हो गयी थी। अंतत: उस घरके लोगोंने एक दिन तय किया कि इस वीणाको फेंक दें, जगह घेरती है। वह उस वीणाको घरके बाहर कूड़ेपर फेंक आये। वह लौट ही नहीं पाये थे फेंककर कि एक भिखारी गुजरता था, उसने वह वीणा उठा ली और उसके तारोंको छेड़ दिया। वे ठिठककर खड़े हो गये, वापस लौट गये। उस रास्तेके किनारे जो भी निकला, वह ठहर गया। घरोंमें जो लोग थे, वे बाहर आ गये। वहां भीड़ लग गयी। भिखारी वीणाको बजा रहा था। जैसे ही उस भिखारीने बजाना बंद किया, घरके लोग उस भिखारीसे बोले, वीणा हमें लौटा दो। वीणा हमारी है। भिखारीने कहा, वीणा उसकी है जो बजाना जानता है और तुम फेंक चुके हो। वीणा घरकी शांति भंग भी कर सकती है, यदि बजाना न आता हो। वीणा घरकी शांतिको गहरा भी कर सकती है, यदि बजाना आता हो। सब कुछ बजानेपर निर्भर करता है। जीवन भी एक वीणा है और सब कुछ बजानेपर निर्भर करता है। इसीलिए जगतमें इतना अंधेरा है, इतनी हिंसा है, इतनी घृणा है। इसलिए जगतमें इतना युद्ध है, इतना वैमनस्य है, इतनी शत्रुता है। जो संगीत बन सकता था जीवन, वह विसंगीत बन गया है, क्योंकि बजाना हम उसे नहीं जानते हैं। शिक्षाका एक ही अर्थ है कि हम जीवनकी वीणाको कैसे बजाना सीख लें। आजकी शिक्षा आदमीको सजा कर छोड़ देती है, लेकिन उसके जीवनके संगीतको बजानेकी संभावना उससे पैदा नहीं हो पाती। वीणाको सजानेका अर्थ है, एक व्यक्तिको अहंकार दे देना, महत्वाकांक्षा दे देना। आजकी सारी शिक्षा एक व्यक्तिके भीतर अहंकारकी जलती हुई प्यासके अतिरिक्त और कुछ भी पैदा नहीं कर पाती है। सर्वप्रथम हो जानेकी पागल दौड़से भरकर बाहर निकलते हैं। जीवनकी वीणा तो पड़ी रह जाती है।