उत्तर प्रदेश गोरखपुर

झूठी सूचना देकर पुलिसको परेशान करने वालोंकी खैर नहीं


एडीजीने तैयार करायी लिस्ट, अब होगी काररवाई
गोरखपुर (आससे.)। जो घटना हुई ही नहीं, उसकी झूठी सूचना मिलने से वर्ष 2020 में गोरखपुर पुलिस सबसे ज्यादा परेशान रही। पूरे साल में गोरखपुर पुलिस को 1852 झूठी सूचनाएं दी गईं। इसमें पुलिस का न सिर्फ समय जाया हुआ बल्कि संशाधनों का भी दुरुपयोग हुआ। अब झूठी सूचना देने वालों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। एडीजी डायल 112 असीम अरुण ने पिछले दिनों अपने गोरखपुर दौरे के दौरान कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में पुलिस ने पूरे डाटा जुटाया है। पता चला है कि इसमें कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने एक से ज्यादा बार झूठी सूचनाएं दी हैं।पुलिस सूत्रों के मुताबिक, झूठी सूचनाओं में हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण तक की झूठी सूचनाएं अच्छी-खासी संख्या में आई हैं। पिपराइच में बालक बलराम के अपहरण और हत्या के दौरान ही पुलिस को कई और बच्चों के अपहरण की सूचना मिली थी। चूंकि उस अपहरण ने पुलिस की काफी बदनामी कराई थी लिहाजा अन्य घटनाओं की सूचना से पीआरवी ही नहीं थाना पुलिस और अफसर भी इस दौरान काफी परेशान रहे। एक आंकड़े के मुताबिक अपहरण की 112 से ज्यादा झूठी सूचनाएं दी गई वहीं हत्या में भी दर्जनभर सूचनाएं फर्जी आईं, जबकि हत्या के प्रयास में यह संख्या सैकड़ों में रही। झूठी सूचना की सभी 1852 कॉल की लिस्ट बना ली गई है।
उसके हिसाब से मोबाइल नम्बर दर्ज किए गए हैं। अब इसमें यह देखा जा रहा है कि कितने लोग ऐसे हैं, जिन्होंने एक बार से अधिक झूठी सूचनाएं देकर पुलिस को परेशान किया है। ऐसे सभी लोग अब निरोधात्मक कार्रवाई के दायरे में आएंगे। यही नहीं, ये सारे नम्बर रिकॉर्ड में दर्ज किए जाएंगे और आगे चलकर अगर इन नम्बरों से कोई झूठी सूचना फिर आती है तो उन पर कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा। एक बार गलती करने वाले नम्बरों की जांच में अगर यह साबित हो गया है कि उसने जानबूझ कर गलती नहीं की है तो उसे एक मौका मिलेगा लेकिन नम्बर हमेशा रिकॉर्ड में दर्ज रहेगा।दिसम्बर महीने के आखिरी सप्ताह में गोरखपुर आए एडीजी असीम अरुण ने कहा था कि अगर कोई झूठी सूचना देकर बार-बार पुलिस को परेशान कर रहा है या पुलिसकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहा है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कराएं। उन्होंने कहा कि यूपी-112 सेवा एक आपातकालीन सेवा है। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक पीडि़तों तथा शिकायतकर्ताओं का सहयोग करना है मगर इस पर बार-बार अनावश्यक कॉल और गम्भीर प्रकृति की झूठी एवं फर्जी सूचनाएं आ रही हैं। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करें।