साप्ताहिक

टीकाकरणका कीर्तिमान


कोरोना महामारीके खिलाफ जंगमें भारतने सबसे बड़े टीकाकरण अभियानमें विश्व कीर्तिमान बनाया है, जो भारतके लिए गर्वका विषय होनेके साथ ही दुनियाके अन्य देशोंके लिए एक सन्देश भी है। भारतने ११४ दिनोंमें १७ करोड़ २७ लाखसे अधिक लोगोंका टीकाकरण किया, जबकि अमेरिका और चीन पीछे रह गये। अमेरिकाने इतने लोगोंका टीकाकरण ११५ दिनोंमें और चीनने ११९ दिनोंमें किया। भारतने अनेक विषम परिस्थितियों और टीकेकी कमीके बीच विश्व कीर्तिमानका लक्ष्य प्राप्त किया। इससे देशमें उत्साहवर्धक सन्देश गया है। दिल्ली, महाराष्टï्र, तमिलनाडु और राजस्थान सहित कई राज्योंने टीकेकी कमीकी भी बातें की हैं। स्वास्थ्यकर्मियोंको टीके लगानेके साथ ही देशमें १६ जनवरीसे टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था। दो फरवरीसे अग्रिम मोरचेके कर्मियोंको टीके लगाये गये। इसके बाद ही अलग-अलग आयु वर्गके लोगोंका टीकाकरण अभियान प्रारम्भ किया गया। पहले ६० वर्ष और उससे ऊपरके लोगोंको टीके लगाये गये। इसके बाद ४५ वर्ष और उससे ऊपरके लोगोंको और एक मईसे १८ से ४४ वर्षके लोगोंका टीकाकरण अभियान चलाया गया। टीकाकरण अभियानमें अनेक बाधाएं और चुनौतियां भी आयीं। सर्वोच्च न्यायालयने टीकाकरणके तौर-तरीकोंको लेकर अपनी बातें रखी और केन्द्र सरकारने साफ शब्दोंमें कहा कि न्यायपालिका टीकाकरणमें हस्तक्षेप नहीं करें। केन्द्रने टीकाकरण नीतिका बचाव करते हुए कहा कि न्यायपालिकाके अति उत्साही हस्तक्षेपसे गलत परिणाम भी हो सकते हैं। कोरोना महामारीमें टीका सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। इसे और तीव्र गतिसे आगे चलानेकी जरूरत है। इसमें सुस्तीसे खतरे बढ़ सकते हैं, क्योंकि तीसरी लहरका खतरा भी मंडरा रहा है। शहरी क्षेत्रोंमें टीका लगवानेके लिए लोगोंमें उत्सुकता अधिक है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रोंमें उत्साह नहीं है। गांवोंमें भी संक्रमण निरन्तर बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थितिमें सरकारको विशेष रूपसे सक्रिय होना पड़ेगा। टीकेकी उपलब्धता भी बढ़ानी होगी। देशमें अब तीन प्रकारके टीके हैं। लोगोंको मनचाही कोरोना टीकेका विकल्प मिलेगा। इसके लिए कोविन पोर्टलपर बदलाव किये गये हैं। पंजीकरणसे पूर्व इसकी जानकारी मिल जायगी कि किस केन्द्रपर कौन-सा टीका उपलब्ध है। राज्योंकी आपूर्ति बढ़ायी जा रही है। भारत बायोटेकने १४ राज्योंको कोवैक्सीन टीकेकी आपूर्ति भी शुरू कर दी है। इससे टीकेका संकट कम होगा। कोविशील्डकी भी आपूर्ति बढऩी चाहिए। तीसरा टीका रूसका है, जिसका उत्पादन भारतमें शुरू हो रहा है। सभी केन्द्रोंपर टीकेकी पर्याप्त उपलब्धतासे टीकाकरणको तेज गति मिलेगी, जो आवश्यक है। इसमें शिथिलता नहीं आनी चाहिए।

नेपालमें फिर सियासी संकट

नेपालके प्रधान मंत्री के.पी. शर्मा ओलीको सोमवारको उस समय बड़ा झटका लगा जब उनकी सरकार नेपाली संसदकी प्रतिनिधि सभामें पेश विश्वास प्रस्ताव हार गयी और उन्हें प्रधान मंत्रीका पद गंवाना पड़ा। इसके साथ ही नेपालमें एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरताका संकट गहराता दिख रहा है। राष्टï्रपति विद्या भण्डारीके बुलाये गये विशेष सत्रके दौरान नेपाली संसदके निचले सदनमें विश्वास प्रस्तावके समर्थनमें ओलीको मात्र ९३ वोट मिले जबकि २७५ सदस्यीय प्रतिनिधि सभामें ओलीको विश्वासमत जीतनेके लिए १३६ वोटोंकी जरूरत थी। प्रस्तावके खिलाफ १२४ मत पड़े, चार सदस्य निलम्बित हैं। ऐसे समय जब दुनियाके साथ नेपाल भी कोरोना महामारीके संकटसे जूझ रहा है, यह सियासी संकट अप्रत्याशित भले ही न हो लेकिन असामयिक है। वैसे तो नेपालमें सियासी संकट पिछले साल दिसम्बरसे ही खड़ा हो गया था जब राष्टï्रपति भण्डारीने ओलीकी सिफारिशपर संसदको भंग कर ३० अप्रैल और १० मईको नये सिरेसे चुनाव करानेका ऐलान कर दिया। अब ओलीके इस्तीफेके बाद नेपालमें सरकार बनानेको लेकर सरगरमी बढ़ गयी है। अब संवैधानिक प्रक्रियाके तहत नयी सरकार बनेगी, जिसमें गठबंधन सरकार बननेके प्रबल आसार दिख रहे हैं। नेपालमें तेजीसे बदलते राजनीतिक घटनाक्रमसे चीन बौखलाया हुआ है। ओली चीनके प्रबल समर्थक हैं, उनके हटनेसे चीनका चिन्तित होना स्वाभाविक है, क्योंकि नेपालपर उसकी पकड़ ढीली पडऩेका खतरा मंडरा रहा है। नेपालमें राजनीतिक अस्थिरता भारतके लिए शुभ संकेत नहीं है। इसका शीघ्र समाधान होना भारतके हितमें है। भारत हमेशासे अपने इस पड़ोसीकी राजनीतिक स्थिरताका पक्षधर रहा है। भारतको नेपालकी घटनाक्रमपर पैनीनजर रखनेकी जरूरत है ताकि चीनकी किसी भी दखलंदाजीको रोका जा सके। नयी सरकारके लिए देशकी आन्तरिक चुनौतियां बड़ी चुनौती है जिसमें चीनके बढ़ते प्रभावको रोकना सरकारकी प्राथमिकता होनी चाहिए।