जी. किशन रेड्डी। कौटिल्य के अर्थशास्त्र, रामराज्य, महाभारत और तिरुवल्लुवर के तिरुक्कुरल की परंपरा में एवं भारत के विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में एक समावेशी कल्याण नीति, एक सरल कर निर्धारण नीति और एक न्यूनतम नियम नीति की आवश्यकता का उल्लेख मिलता है। इस वर्ष का बजट जन कल्याण, कर निर्धारण और सुगम नियमावली में प्रभावी ढंग से तालमेल बनाते हुए, हमारे पूर्वजों के श्रेष्टज्ञान को दर्शाता है।
भारत के अमृत काल का खाका : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत 2022-23 के बजट को “भारत के अमृत काल का खाका” कहना ज्यादा सही होगा। भारत इस वर्ष आज़ादी के 75 वर्ष मना रहा है और अगले 25 वर्षों में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने की दिशा में बढ़ रहा है। यह बजट भारत की संस्कृति, शक्ति, समृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय प्रभुत्व के मार्ग में सूर्य के प्रकाश जैसा काम करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की महान संस्कृति परम्पराओं को तकनीकी के साथ जोड़कर एक आधुनिक भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उनकी इस परिवर्तनकारी सोच से ही दुनिया में भारत डंका बज रहा है। सुशासन के लिए उनके विचार, नीति निर्माण में सामान्य जन को प्राथमिकता और जन भागीदारी की नीति ही मोदी सरकार की विशेषता है।
मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर : केंद्रीय बजट कई नए विचारों को लाकर, उन्हें सरकारी नीतियों और व्यय के ढांचे में समाहित करके इस परंपरा को जारी रखता है। मोदी सरकार ने अमृत काल के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, वे महत्वाकांक्षी, व्यापक और स्पष्ट हैं। इन लक्ष्यों से चार प्राथमिकताएं प्राप्त होंगी- 1) प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना (देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक नई दृष्टि ) (2) समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने वाला प्रगतिशील समावेशी विकास, (3) निवेश और उत्पादकता में वृद्धि के अभिनव वित्तपोषण, (4) सूर्योदय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना बजट इन लक्ष्यों और प्राथमिकताओं पर सरकार के दृष्टिकोण को बहुत ही कुशलता और प्रभावी ढंग से रेखांकित करता है। यह बजट मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर देता है जैसा कि वर्षों से मोदी सरकार का फोकस रहा है। ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति’ योजना के तहत सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, जन परिवहन, जलमार्ग और भण्डारण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बजटीय पूँजीगत व्यय में 35% बढ़ोतरी की है। वर्ष 2022-23 में यह खर्च 7.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है।