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डीयू के प्रो. ने बताया यमुना नदी को कैसे किया जा सकता है साफ


नई दिल्ली। दिल्ली से गुजरने वाली यमुना, गंगा की एक प्रमुख इकाई है। हिमालय से इसकी बिल्कुल पवित्र धारा निकलती है। जब यह हरियाणा और यूपी के बीच से होते हुए दिल्ली में आती है तो पानीपत के पास कुछ स्नोत से गंदगी नदी में गिरती है। हालांकि यह उतना प्रभावित नहीं करती। नदी का रंग परिवर्तित नहीं होता है। रंग बहुत ही साफ होता है। लेकिन जब आप वजीराबाद में यमुना नदी को देखते हैं तो जल बिल्कुल जुदा दिखता है। खासकर, वजीराबाद पुल के नीचे वाले हिस्से में।

वजीराबाद पुल के ऊपरी हिस्से से दिल्ली के पीने के लिए पानी ले लिया जाता है। नीचे वाले हिस्से में नालों का दूषित पानी नदी में मिल जाता है। जिससे नदी के रंग में परिवर्तन दिखना शुरू हो जाता है। नदी नाले के रंग की दिखने लगती है। कोई भी नदी, उस क्षेत्र के प्रदूषण का भी सूचक होती है। नदी का जो रंग, स्वस्थ हिस्सा है, उस संबंधित क्षेत्र के प्रदूषण का सूचकांक है।

इसका मतलब है कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में फिर चाहे वो औद्योगिक इलाकों का सीवर हो या फिर घरेलू सीवर बिना शोधन के सीवर यमुना नदी में गिर रहा है। वजीराबाद का ड्रेन नंबर आठ जिन इलाकों से आ रहा है उन सब जगह प्रदूषण है। नजफगढ़ नाला जहां से आ रहा है, उन सब जगह प्रदूषण के स्नोत विद्यमान हैं।