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सीबीआइ-ईडी निदेशकों के कार्यकाल विस्तार पर सियासी जंग तय,


नई दिल्ली। सीबीआइ और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल दो से बढ़ाकर पांच साल करने संबंधी दो अध्यादेशों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खिंचनी तय हो गई हैं। विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए संसद से सड़क तक अध्यादेश का जोरदार विरोध करने का एलान किया है। यानी नवंबर के आखिर में शुरू हो रहे संसद के शीत सत्र के दौरान सियासी गर्मी चरम पर होगी। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों ने यह भी संकेत दिया है कि अगर बहुमत के बल पर सरकार संसद से इन दोनों अध्यादेशों को पारित कराती है तो विपक्ष इनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाने को तैयार है।

विपक्षी लामबंदी तेज 

कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने संसद में एकजुट होकर विरोध करने के लिए बातचीत शुरू भी कर दी है। कांग्रेस ने कहा है कि शीत सत्र से महज 14 दिन पहले अध्यादेश के जरिये दो प्रमुख जांच एजेंसियों के निदेशकों को सेवा विस्तार देने के कदम से साफ है कि सरकार इनका विपक्षी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल करते रहना चाहती है।

मनीष तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी 

विरोध करने की चेतावनी 

सिंघवी ने कहा कि अध्यादेश में एक-एक साल के तीन विस्तार का प्रविधान किया गया है। इसका आशय है कि सीबीआइ और ईडी निदेशक सत्ता शीर्ष के राजनीतिक मनमाफिक काम करेंगे तभी उन्हें अगला सेवा विस्तार मिलेगा। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि संसद में अध्यादेश के खिलाफ दूसरे विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार की मंशा का न केवल पर्दाफाश किया जाएगा बल्कि इसका कड़ा विरोध भी होगा।