सम्पादकीय

डूबे धनकी आंशिक वापसी


बड़े घोटालेमें डूबे धनकी वापसी बैंकों और देशके लिए अवश्य सुखद है लेकिन इन घोटालोंको अंजाम देनेवाले विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियोंकी स्वदेश वापसी भी बहुत जरूरी है। प्रवर्तन निदेशालयने इन तीनों भगोड़े अपराधियोंकी जब्त सम्पत्तियोंमेंसे ९०,४१५ करोड़ रुपये सम्बन्धित बैंकोंको हस्तान्तरित करा दिया है। यह सम्बन्धित बैंकोंकी डूबी रकमका ४० प्रतिशत हिस्सा है। अभी ६० प्रतिशत धन बाकी है। इसे भी वापस करानेकी व्यवस्था होनी चाहिए। प्रवर्तन निदेशालयका कहना है कि इन घोटालोंके माध्यमसे बैंकोंको कुल २२,५८५.८३ करोड़ रुपयेकी क्षति पहुंचायी गयी थी। मनीलांड्रिंग रोकथाम कानूनके तहत जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालयने घोटालोंके धनसे १८,१७०.०२ करोड़ रुपये मूल्यकी सम्पत्तियोंका पता लगाया और इन्हें जब्त कर लिया। पूरे घोटालेका यह ८०.४५ प्रतिशत हिस्सा है। जब्त की गयी सम्पत्तियोंमें ९६९ करोड़की सम्पत्तियां विदेशोंमें हैं। निश्चित रूपसे इन सम्पत्तियोंका पता लगाना और पक्के प्रमाणोंके आधारपर न्यायलयसे उसे साबित करना भी काफी कठिन कार्य रहा। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालयको काफी परिश्रम करना पड़ा तब जाकर आंशिक सफलता मिल पायी। शेष धनराशिकी वापसी कराना भी काफी कठिन कार्य है लेकिन इसके लिए प्रयास जारी रखनेकी जरूरत है। वस्तुत: आर्थिक अपराधियोंकी लम्बी सूची है, जो देशका धन लूटनेके बाद विदेशोंमें रह रहे हैं। अभी तो केवल तीन भगोड़े आर्थिक अपराधियोंके मामलेमें कुछ सफलता मिली है। नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चोकसीका प्रत्यर्पण भी अत्यन्त आवश्यक है। तीनों अपराधी अपने बचावके लिए अदालतोंकी शरणमें हैं, जहांसे उन्हें राहत मिलना आसान नहीं है। लन्दनकी अदालतने भारत प्रत्यर्पणके खिलाफ दायर नीरव मोदीकी अर्जी रद कर दी है। इसी प्रकार मेहुल चोकसी और विजय माल्या भी अपने बचावमें जुटे हुए हैं लेकिन उन्हें भी राहत मिलनेवाली नहीं है। अन्य आर्थिक अपराधियोंको भी स्वदेश लानेके लिए ठोस प्रयास करनेकी जरूरत है जिससे कि उन्हें भारतीय कानूनके तहत दण्डित किया जा सके।

टीकाकरण प्रक्रियामें ढील

देशमें कोरोना संक्रमणकी दूसरी लहरमें भले ही निरन्तर गिरावट आ रही है, लेकिन तीसरी लहरके खतरेको देखते हुए टीकाकरण अभियानको और गति देनेकी कवायदमें सरकार जुट गयी है। सरकारने टीका केन्द्रोंपर ही पंजीकरणकी सुविधा शुरू कर टीकाकरणके सबसे बड़े अवरोधकको हटानेका काम किया है। इससे विभिन्न कारणोंसे वंचित रहनेवाले लोग भी टीकाकरण करा सकेंगे और इससे टीकाकरण अभियानको गति मिलेगी। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने स्पष्टï किया है कि कोरोना टीकाकरणके लिए न तो मोबाइल फोनका होना जरूरी है और न ही पतेका प्रमाण अनिवार्य है। टीका लगानेके लिए कोविन पोर्टलपर पहलेसे आनलाइन पंजीकरण भी आवश्यक नहीं है। सरकारके इस निर्णयसे सड़कपर जीवनयापन करनेवाले लोगोंका भी टीकाकरण सम्भव हो पायेगा और उनकी जीवन-रक्षा हो सकेगी। हालांकि भारतमें जिस तरह टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, उसने विश्वमें कीर्तिमान स्थापित किया है लेकिन देशकी बहुत बड़ी आबादीके टीकाकरणके लिए और गति देनेकी जरूरत है, क्योंकि तीसरी लहरमें उन्हींके सबसे ज्यादा प्रभावित होनेका खतरा जताया गया है, जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया है। ऐसेमें भारतकी १३५ करोड़से अधिक जनताको कोरोना टीकेके दोनों डोज लगाना बड़ी चुनौती है, लेकिन जिस संकल्पके साथ सरकार प्रयास कर रही है उससे कोरोना संक्रमणसे लडऩेमें बहुत सहायता मिलेगी। टीकाकरणके लिए आधारकार्ड, मतदाता पहचान-पत्र फोटोयुक्त राशनकार्ड सहित नौ पहचान-पत्रोंमेंसे कोई एक अनिवार्य था, लेकिन बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जिसके पास न घर है और न ही पहचान-पत्र। ऐसेमें सरकारके केन्द्रोंपर ही पंजीकरणकी सुविधासे उन्हें राहत मिलेगी और वह भी अपना टीकाकरण करा सकेंगे। सरकारको इसके लिए टीकाकरण केन्द्रकी संख्यामें वृद्धि करनेके साथ ही प्रत्येक केन्द्रोंपर पर्याप्त मात्रामें कोरोनाका टीका उपलब्ध कराना होगा जिससे जल्दीसे जल्दी लोग कोरोना टीका लगवा कर सुरक्षित हो सकें। टीकाकरणको गति देनेके लिए यह आवश्यक भी है।