सम्पादकीय

तीसरी लहरकी दस्तक


देशके एक शीर्ष वैज्ञानिकके दावोंपर विश्वास किया जाय तो भारतमें कोरोनाकी तीसरी लहरने दस्तक दे दी है जबकि डाक्टरोंके संघटन इण्डियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि तीसरी लहर दरवाजेपर है। स्थिति बिल्कुल स्पष्टï है कि देशमें तीसरी लहरके हालात उत्पन्न होने लगे हैं। प्रमुख भौतिक वैज्ञानिक और हैदराबाद विश्वविद्यालयके प्रोवाइसचांसलर डाक्टर विपिन श्रीवास्तवने पिछले ४६३ दिनोंके संक्रमण आंकड़ों और मृत्यु दरका विश्लेषण करनेके उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि चार जुलाईको ही तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है और जनताको कोरोनासे बचावके लिए सभी नियमोंका कड़ाईसे पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि चार जुलाईसे कोरोना संक्रमणके मामलों और मौतके आंकड़े देशमें तीसरी लहर आनेके संकेत दे रहे हैं। ऐसे ही आंकड़े इस वर्ष फरवरीके प्रथम सप्ताहसे देखनेको मिले थे तब कोरोनाकी दूसरी लहरने दस्तक दी थी। फरवरीके प्रथम सप्ताहमें डेली डेथ लोड (डीडीएल) में उतार-चढ़ाव शुरू होते हमने देखा था। उस समय संक्रमणसे मौतके मामले कम थे लेकिन बादमें स्थिति भयावह हो गयी। आईएमएने सोमवारको एक बयान जारी कर जो बातें रखी हैं, वह अत्यन्त महत्वपूर्ण है और उसका अनुपालन भी होना चाहिए। पर्यटन और तीर्थ यात्राओंके लिए कुछ महीने इन्तजार किया जा सकता है। देशके कई हिस्सोंमें सरकारें और लोग ढिलाई बरत रहे हैं। भीड़ जुटानेकी अनुमति देना और बिना टीका लगवाये भीड़-भाड़में शामिल होने देना बड़ी गलती है। पुरीमें रथयात्रा और उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्डमें कांवड़ यात्राकी अनुमति देनेके बाद आईएमएका बयान लोगोंके लिए सबक है। सभी राज्योंमें भीड़-भाड़ रोकनेकी जरूरत है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने स्वयं आग्रह किया है, पर्यटकोंको संयम बरतना चाहिए। जहांतक टीकाकरणका सवाल है उसकी गति धीमी पड़ गयी है। प्रतिदिन लक्ष्यसे आधे टीके लगाये जा रहे हैं। इससे तीसरी लहरका सामना करनेमें व्यवधान आ सकता है। इसलिए टीकाकरणमें तेजी लानेकी जरूरत है। प्रतिदिन ८६ से ८७ लाख लोगोंके टीकाकरणका लक्ष्य रखा गया है लेकिन वर्तमानमें लगभग ४६ लाख लोगोंको ही टीके लगाये जा रहे हैं। टीकोंकी पर्याप्त अनुपलब्धता और व्यवस्थागत खामियोंसे टीकाकरण अभियानमें शिथिलता आयी है जबकि टीके लगवानेके प्रति लोगोंमें जागरूकता बढ़ी है। अगस्तसे टीकाकरणमें तेजीकी उम्मीद है। टीकोंका उत्पादन बढ़ानेका प्रयास किया जा रहा है। जनताको भी सावधानी और सतर्कता बरतनेपर विशेष ध्यान देना होगा।

नेपालमें देउबाको कमान

नेपालके सुप्रीम कोर्टने एक अहम फैसलेमें सख्त रुख अपनाते हुए राष्टï्रपति विद्या देवी भण्डारीको मंगलवारको नेपाली कांग्रेसके प्रमुख शेर बहादुर देउबाको प्रधान मंत्री नियुक्त करनेका निर्देश दिया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालतने केपी शर्मा ओलीको बड़ा झटका देते हुए पांच माहमें दूसरी बार भंग प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) को भी बहाल कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चोलेन्द्र शमशेरके नेतृत्ववाली सर्वोच्च न्यायालयकी पाचं सदस्यीय संविधान पीठने प्रधान मंत्री ओलीकी अनुशंसापर राष्टï्रपति भण्डारीका निचले सदनको भंग करनेके निर्णयको असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इस फैसलेने देशमें राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। साथ ही १८ जुलाईको शामतक प्रतिनिधि सभाका नया सत्र बुलानेका भी आदेश दिया है जिसमें देउबाको बहुमत साबित करना पड़ेगा। शीर्ष न्यायालयका फैसला कम्युनिस्ट नेता ओलीके लिए बड़ा आघात है, जो समयपूर्व चुनावोंकी तैयारी कर रहे थे। न्यायालयका फैसला उचित और नेपालके हितमें है, क्योंकि ओली चीनके हाथकी कठपुतली बने हुए हैं, जबकि नेपालकी जनता चीनके पक्षमें नहीं है। देशमें चीनके बढ़ते प्रभावको रोकना देउबा सरकारकी प्राथमिकता होनी चाहिए। राष्टï्रहितमें नेपालकी सम्प्रभुतापर कोई आंच नहीं आना चाहिए। चीनने वहां जो माहौल बनाया है उसे समाप्त करना बेहद जरूरी है। नेपालमें राजनीतिक अस्थिरता भारतके लिए भी हितकारी नहीं है। वहां राजनीतिक उठापटक बंद होनी चाहिए तभी शान्ति और स्थिरताका माहौल बनेगा। इसके लिए सरकारको बुद्धि और विवेकसे काम लेना होगा।