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दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ने पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ


  • नई दिल्ली । दिसंबर का पहला पखवाड़ा बीत गया, लेकिन हाड़ कंपाने वाली सर्दी से दिल्ली दूर ही रही। एक भी दिन शीत लहर नहीं चली तो अधिकतम और न्यूनतम तापमान भी कमोबेश सामान्य स्तर के आसपास ही चल रहा है। अभी अगले एक सप्ताह के दौरान भी ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही। मौसम विज्ञानियों ने इस स्थिति के लिए मजबूत पश्चिमी विक्षोभों के अभाव और जलवायु परिवर्तन के असर को मुख्य वजह बताया है।

महेश पलावत, उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन), स्काईमेट वेदर का कहना है कि हाड़ कंपाने वाली ठंड और शीत लहर दोनों के ही लिए मजबूत पश्चिमी विक्षोभ आने चाहिए। इस सीजन में ही अभी तक कम से कम पांच पश्चिमी विक्षोभ आ जाने चाहिए थे, लेकिन आए सिर्फ दो। जलवायु परिवर्तन का असर तो लगातार मौसम चक्र पर पड़ ही रहा है।