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अमरोहा. उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की बावनखेड़ी हत्याकांड (Bawan Kheri Murder Case) की दोषी शबनम (Shabnam) एक बार फिर चर्चा में है. उसे फांसी कब होगी? ये सवाल अभी भी बना हुआ है. मीडिया में शबनम की फांसी का मुद्दा जब-तब उछलता रहता है. अब इस केस को लेकर एक बड़ा मोड़ आया है. दरअसल शबनम को फांसी के फंदे तक पहुंचाने की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दानिश खान ने बावन खेड़ी गांव की खलनायिका शबनम को फांसी की सजा माफ करने के लिए मानवाधिकार आयोग (Human Right Commission) का रुख किया है. लेकिन कमीशन में याचिका दर्ज होने के महज 24 घंटे बाद ही आयोग ने याचिका खारिज कर दिया है. बता दें तमाम कानूनी दांव-पेच के चलते शबनम अब तक फांसी से बचती आ रही है. उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर निवासी दानिश खान सोशल एक्टिविस्ट के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं. ये अक्सर सूचना के अधिकार के तहत स्थानीय अधिकारियों के कार्यालयों से जुड़ी सूचनाओं के साथ ही पीएमओ, राष्ट्रपति कार्यालय और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आदेशों को लेकर भी सूचनाएं मांगते रहे हैं.
अमरोहा की खलनायिका की कहानी, 2 कातिल, 7 कत्ल
14/15 अप्रेल 2008 में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से अपने मां-पिता, भतीजा, भाभी, भाई समेत 7 लोगो की हत्या कर दी थी. फिर हत्या के जुर्म से बचने के लिए फिल्मी अंदाज में कहानी रच दी. मात्र 4 दिन में ही पुलिस ने उसकी पूरी पोल खोल दी थी.
कैसे बदला दानिश का मन
बता दें दानिश खान ने ही शबनम को शीघ्र फांसी दिए जाने की मांग की थी, जिसके बाद उसको फांसी दिए जाने को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई थीं और मीडिया का फोकस पूरी तरह से रामपुर की जेल पर हो गया था. लेकिन कानूनी दांव-पेंच के चलते उसकी फांसी की तारीख टल गई थी.