कोयलसा, आजमगढ़। बूढऩपुर तहसील क्षेत्र के सरैया स्थित बाबा पौहारी स्थान पर प्रत्येक सोमवार, शुक्रवार और बुद्ध पूर्णिमा, दीपावली, विजयदशमी, होली सहित अनेक धर्मिक पर्व पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें आस-पास के लोग और जिले से लेकर अंबेडकर नगर तक के दर्शनार्थी बाबाजी के दर्शन के लिए आते हैं और सरोवर में डुबकी लगाकर आस्था का प्रतीक बने बाबा पौहारी के स्थान पर दर्शन और पूजा करते हैं। यहां पर प्रत्येक सोमवार, शुक्रवार के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है। मेले में लोगों द्वारा पोखरे में पाले गये कछुओं को लाई, चुरा डाला जाता है। 10 से 20 किलो के वजन से अधिक के कछुआ पानी में तैरते हैं, दर्शनार्थियों द्वारा सेल्फी भी खूब ली जाती है। बाबा पौहारी के स्थान पर कढ़ाई चढ़ाने वाले का भी तांता लगा रहता है, यहां की मान्यता है कि जो भी अपने आराध्य बाबा से मिन्नते मांगता है, बाबा उसकी मुरादें पूरी करते हैं। इच्छापूर्ति के बाद श्रद्धालु मंदिर में आकर बाबा के पोखरे में स्नान कर दर्शन करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं, इतना ही नहीं चर्म रोग व कुष्ठ रोग के रोगी पोखरे में स्नान करते हैं। बाबा की कृपा से उनका रोग समाप्त हो जाता है। बाबा के दरबार में छात्र और छात्राओं की भीड़ लगी रहती है, विद्यार्थी भी बाबा से मिन्नतें मांगते हैं उनकी भी बाबा मुरादें पूरी करते हैं, प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार के दिन दर्शन और दान का बड़ा ही फल माना जाता है जिसके चलते भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस आस्था के केन्द्र पर जो भी आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता है। मंदिर समिति के प्रबंधक ठाकुर प्रसाद सिंह ने बताया कि जो भी मन से बाबा की पूजा-अर्चना करता है, बाबा उसके सारे क्लेश को दूर कर देते हैं। बाबा की आस्था सैकड़ों वर्षो से जुड़ी है, यहां पर प्रदेश के कोने-कोने से लोग दर्शन के लिए आते हैं। आजमगढ़-अंबेडकर नगर, गाजीपुर, बलिया, बहराइच, गोरखपुर, बस्ती, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर सहित अनेकों जिले के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। कभी बड़े पर्व पर तो देश और विदेश से भी लोग आते हैं। बाबा ग्रामीण क्षेत्र में अपनी अलख जगा दिये हैं लेकिन इनकी कीर्ति देश के कोने-कोने में फैल गई है। इसी क्रम मे बोंगरिया पौहारी बाबा के स्थान पर रविवार और मंगलवार को श्रद्घालुओं की काफी भीड़ दर्शन-पूजन के लिए होती है। साथ ही दोनों दिन भव्य मेला भी लगता है। श्रद्घालुओं द्वारा मांगी गई मन्नतें जब पूर्ण होती हैं तो वह पौहारी बाबा के स्थान पर आकर घंटा बांधते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। बताते चलें कि इस मन्दिर पर रात में कोई पुजारी नहीं रहता है। यहां पौहारी बाबा अपनी सुरक्षा और मन्दिर में लगे सामाग्री की सुरक्षा स्वयं करते हैं। यहां से कोई कितना भी चाह ले कोई सामान नहीं ले जा सकता। वह भी अंधा होकर इधर-उधर भटकने लगता है और वह सुबह होते ही पकड़ा जाता है।