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महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। नवाब ने समीर और एनसीबी पर कई आरोप लगाए हैं। अब मंत्री ने एक नया इलजाम लगाया है। उन्होंने समीर वानखेड़े का निकाहनामा जारी कर दिया है।ट्विटर पर लिखा है, ‘साल 2006 में 7 दिसंबर गुरुवार रात 8 बजे समीर दाऊद वानखेड़े और शबाना कुरैशी के बीच निकाह हुआ था।’ यह मुंबई के अंधेरी (वेस्ट) के लोखंडवाला कॉम्पलेक्स में हुआ था। मलिक ने दूसरे ट्वीट में बताया कि निकाह में 33 हजार रुपए मेहर के रूप में अदा की गई। इसमें गवाह नंबर दो अजीज खान थे। जो यासमीन दाऊद वानखेड़े के पति हैं। वह समीर की बहन है।
दाढ़ी वाले की मित्रता वानखेड़े साहब सेवहीं नवाब मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समीर वानखेड़े पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूरे खेल में दाढ़ी वाले की मित्रता वानखेड़े साहब से है। जो लोग जांच करने आए हैं मैं उन्हें कहता हूं कि क्रूज की सीसीटीवी मंगवाओ। दुनिया का बहुत बड़ा ड्रग माफिया उस पार्टी में था। उन्हीं लोगों ने ये पार्टी आयोजित की थी, खेल तो हो गया लेकिन खेल का खिलाड़ी दाढ़ी लिए हुए क्यों घूम रहा है इसका जवाब जांच एजेंसी को देना पड़ेगा।मंत्री ने कहा कि पार्टी फैशन टीवी ने आयोजित की थी। बिना महाराष्ट्र सरकार की जानकारी के, कोविड प्रोटोकॉल होने के बावजूद कोई भी अनुमति महाराष्ट्र पुलिस से, राज्य के गृह विभाग से नहीं ली गई। इसको चलाने की अनुमति शिपिंग निदेशक से ली गई थी। उन्होंने कहा कि अगर हम समीर वानखेड़े का फर्जीवाड़ा खोल रहे हैं तो भाजपा क्यों छटपटा रही है। क्या जिन्न की जान तोते में है? पूरी बीजेपी वानखेड़े को लेकर छटपटा रही है कि, कहीं पोपट मर गया तो बीजेपी तो नहीं मर जाएगी।
फोन टैप करने का आरोप
नवाब मलिक ने इससे पहले समीर वानखेड़े पर गैरकानूनी तरीके से फोन टैप करने का इलजाम लगाया था। उन्होंने कहा कि वह गलत कामों पर एक लेटर एजेंसी के प्रमुख को सौंपेंगे। मलिक ने कहा, ‘वानखेड़े मुंबई और ठाणे के दो लोगों के जरिये कुछ लोगों के मोबाइल फोन पर गैरकानूनी तरीके से नजर रख रहे हैं।’ बता दें मंत्री अपने दामाद की गिरफ्तारी के बाद से लगातार समीर पर निशाना साध रहे हैं।
समीर ने जाली पहचानपत्र बनाया
महाराष्ट्र मंत्री ने दावा किया कि उनके पास विश्वसनीय दस्तावेज हैं, जो साबित करते हैं कि समीर वानखेड़े का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ। उन्होंने जाली पहचानपत्र बनाया और अनुसूचित जाति वर्ग के तहत नौकरी पाई। कानूनी तौर पर इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। ऐसे में समीरने अनुसूचित जाति के एक योग्य व्यक्ति के नौकरी का अवसर छीन लिया।