नई दिल्ली। नार्डिक देशों के साथ विशेष रिश्ते कायम करने की भारत सरकार की रणनीति सही दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है। बुधवार को कोपेनहेगन में यूरोप के इन बेहद छोटे लेकिन आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद मजबूत पांच देशों (डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे, आइसलैंड व फिनलैंड) के साथ भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी की बैठक दोनो पक्षों के साथ रिश्तों को नया आयाम दे सकते हैं।
पहले चार देशों के प्रधानमंत्रियों के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक
पीएम मोदी की एक दिन पहले डेनमार्क की पीएम मेट फ्रेडेरिक्सन के साथ बैठक हो चुकी थी, बुधवार को उनकी फिनलैंड की पीएम साना मारीन, आइसलैंडज की पीएम कैटरीन जाकोबस्डोटिर, स्वीडन की पीएम मैग्डालेना एंडरसन और नार्वे के पीएम जोनास स्टोर के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई और इसके बाद उक्त पांचों नेताओं के साथ संयुक्त भारत-नार्डिक सम्मेलन हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि भारत इन देशों के साथ मिल कर बहुत कुछ हासिल कर सकता है और दोनों पक्ष संयुक्त तौर पर वैश्विक संपन्नता के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर नार्डिक देशों में काफी चिंता
पीएम मोदी की पांचों देशों के प्रधानमंत्रियों के साथ अलग अलग और फिर संयुक्त तौर पर हुई बैठक में यूक्रेन-रूस का विवाद काफी अहम रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से हर बैठक का अलग- अलग ब्यौरा जारी किया गया है और इसमें एक तथ्य सामान्य है कि यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर नार्डिक देशों में काफी चिंता है। भारत और इन सभी देशों ने माना है कि इस युद्ध का ना सिर्फ यूरोप पर बल्कि पूरी दुनिया को अस्थिर करने वाला असर होगा। इस बारे में भारत इन देशों के साथ आगे भी संपर्क बना कर रहेगा।
संयुक्त बयान में यूक्रेन संकट को मानवीय त्रासदी करार दिया
भारत-नार्डिक सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में यूक्रेन संकट को मानवीय त्रासदी करार देते हुए वहां मारे गये नागरिकों को लेकर गहरा दुख व्यक्त किया है। इसके साथ ही युद्ध को शीघ्र समाप्त करने की बात कही गई है। नार्डिक देशों के प्रधानमंत्रियों ने बिना उकसावे के और अकारण रूस की सेना के आक्रमक रवैये की कड़ी निंदा की है। साफ है कि भारत एक बार फिर रूस की सीधे तौर पर निंदा करने से परहेज किया है।
भारत और नार्डिक देशों ने पूरी दुनिया में कानून सम्मत व्यवस्था का जोरदार समर्थन किया है। भारत इन देशों के साथ मिल कर बहुराष्ट्रीय संस्थानों को और मजबूत, पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए काम करेगा। पर्यावरण का मुद्दा इस बैठक में बहुत ही अहम रहा है। इस बारे में पहले से ही भारत कुछ नार्डिक देशों के साथ काम कर रहा है। ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाओं को देखते हुए इस बारे में गहरे सहयोग की जरूरत पर जोर दिया गया है।
पीएम मोदी ने बैठक में आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में दोनो देशों के बीच काफी संभावनाएं हैं। बताते चलें कि भारत आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग के लिए रूस से भी बात कर रहा है। भारत रूस के साथ मिल कर आर्कटिक क्षेत्र में जहाज मार्ग पर काम करने की पेशकश कर चुका है।