राष्ट्रीय

निकाह हलाला को अवैध घोषित करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का करेगा गठन


 शीर्ष अदालत ने मुसलमानों के बीच निकाह हलाला और बहुविवाह की संवैधानिक बैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए संविधान पीठ बनाने की सहमति दे दी।  सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह प्रश्न उठाया कि इस मामले पर पांच न्यायाधीशों की एक नई पीठ का गठन करने की जरूरत है, क्योंकि पिछली पीठ के दो न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और जस्टिस हेमंत गुप्ता रिटायर हो गए हैं, जिसपर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम इस मामले पर एक बेंच का गठन करेंगे। मालूम हो कि इस मामले पर सुनवाई के लिए तीस अगस्त को पांच-न्यायाधीशों की पीठ बनाई गई थी, जिसमें जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल थे। हालांकि बाद में न्यायमूर्ति बनर्जी इस साल 23 सितंबर और न्यायमूर्ति गुप्ता 16 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गए। दोनों जजों के सेवानिवृत होने से बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथाओं के खिलाफ दायर की गई आठ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पीठ के पुनर्गठन की आवश्यकता हुई। मालूम हो कि शीर्ष अदालत में अश्विनी उपाध्याय ने अपनी दायर की गई जनहित याचिका में बहुविवाह और निकाह हलाला को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में इस याचिका पर सुनवाई किया था और मामले को पहले से ही इसी तरह की याचिकाओं के एक अन्य बैच की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ को सौंप दिया था।