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पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी की श्रद्धांजलि, कहा- हमारे लिए राजनीति से पहले राष्ट्रनीति


बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि को समर्पण दिवस के रूप में मना रही है. जाने-माने विचारक, दार्शनिक और राजनीतिक पार्टी भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा में हुआ था. 11 फरवरी 1968 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री मोदी ने अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित भी किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए राजनीति में राष्ट्रनीति अहम….सरकार चलाने नहीं, देश को आगे ले जाने आए हैं. बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि को समर्पण दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ”ये हमारी विचार धारा है कि हमें राजनीति का पाठ, राष्ट्र नीति की भाषा में पढ़ाया जाता है. हमारी राजनीति में भी राष्ट्र नीति सर्वोपरि है. अगर हमें राजनीति और राष्ट्रनीति में एक को स्वीकार करना होगा, तो हमें संस्कार मिले हैं हम राष्ट्रनीति को स्वीकार करेंगे, राजनीति को नंबर दो पर रखेंगे.”

पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है. एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था. इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा.”

प्रधानमंत्री ने कहा, ”कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा, और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की. आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्म मानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाईं, और आज वैक्सीन पहुंचा रहा है. लोकल इकॉनमी पर विजन इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रैक्टिकल और व्यापक थी. आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है.”

प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारे राजनीतिक दल हो सकते हैं, हमारे विचार अलग हो सकते हैं, हम चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान ना करें. प्रणब मुखर्जी, तरुण गोगोई, एस.सी.जमीर इनमें से कोई भी राजनेता हमारी पार्टी या फिर गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे. लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.”