पटना

पटना: अगले वित्तीय वर्ष के बजट निर्माण की प्रक्रिया शुरू


कोविड-१९ के दुष्प्रभाव से उबर नहीं पायी है अर्थव्यवस्था

      • गैर जरूरी योजनाओं को बंद करने का निर्देश
      • पंचायती राज और शहरी निकायों को मिलेगी भरपूर राशि

(आज समाचार सेवा)

पटना। सरकार में अगले वित्तीय वर्ष यानि २०२२-२३ के लिए आम बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। अगले वित्तीय वर्ष में बजट पर कोविड-१९ संक्रमण के दुष्प्रभाव का असर देखने को मिलेगा। कारण अपेक्षा के अनुरूप राजस्व की प्राप्ति नहीं होना है। हालांकि गांव और सरकार के विकास में राशि की कमी को सरकार कारण नहीं बनने देना चाहती है। १५वें वित्त आयोग तथा षष्ठम वित्त आयोग की अनुशंसा पर पंचायतों एवं नगर निकायों को विकास के लिए लगभग १०५२८ करोड़ मिलने की संभावना है।

वित्त विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्घार्थ ने सभी विभागीय प्रमुखों को पत्र लिखकर कहा है कि कोविड-१९ महामारी के कारण राजस्व प्राप्तियों पर बढ़ते दवाब कि मद्देनजर भी खर्च की आवश्यकता की गहन समीक्षा कर बजट में राशि का उपबंध कराया जाना श्रेयस्कर होगा। बजट आवश्यकता आधारित हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान की सभी स्कीमों की गहराई से समीक्षा करें ताकि ऐसी स्कीमें जो वास्तविक उद्देश्यों को पूरा नहीं कर रहा है, को समाप्त किया जा सकता है। अर्थात उसे फेज आउट किया जा सके। ऐसी स्कीमों के अंतर्गत कर्मचारियों की संख्या को कम किया जा सके तथा जहां कार्यबल अधिक है उन्हें अन्यत्र पदस्थापित या प्रतिनियुक्त किया जा सके। इससे संबंधित प्रस्ताव अपेक्षित है। विभागवार, पदवार तथा वेतनमान के अनुसार कुल स्वीकृत एवं कार्यरत बल की समेकित सूची देना सुनिश्चित करेंगे।

पत्र में कहा गया है। कि तीन वित्तीय वर्षों के वास्तविक व्यय को ध्यान में रखते हुए उतनी ही राशि का बजट में प्रावधान करायें जितनी राशि खर्च हो सकती है। विभागों को यह भी कहा गया है कि इस वर्ष होने वाली संभावित नियुक्तियों के लिए पूरक बजट में राशि का प्रावधान करायें। किसी भी परिस्थिति में रिक्त पदों के विरुद्ध वेतनादि मद में बजट का उपबंध न करें।

इधर सरकार ने कहा है कि अगले वित्तीय वर्ष में आपदा पीडि़तों, गांव से शहर तक के विकास के लिए राशि की कोई कमी नहीं होगी। राज्य आपदा निधि को १९८० करोड़ १५वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलनी है। पंचायती राज और नगर निकायों को ५७४४ करोड़ मिलने की उम्मीद है, वहीं षष्ठम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर पंचायतों एवं नगर निकायों को ४८५४ करोड़ मिलने की उम्मीद है।