-
-
- अंगीभूत महाविद्यालयों में प्राचार्यों की नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से की जाएगी
- पांच वर्षों के लिए होगा प्राचार्यों का कार्यकाल
-
पटना (आससे)। लगभग 22 वर्षों के बाद प्रदेश के सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। इन कर्मचारियों की नियुक्ति अवर सेवा चयन पर्षद से होगी। माना जा रहा है कि ऐसे कर्मचारियों की रिक्तियां तकरीबन सात हजार है। अंगीभूत महाविद्यालयों में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लियर कराकर रिक्तियां अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश कुलपतियों व कुलसचिवों को दिया गया है। साथ ही, अंगीभूत महाविद्यालयों में प्राचार्यों की नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा पर पांच वर्षों के लिए होगी। अगर पांच वर्षों की सेवा संतोषप्रद रही तो उन्हें पांच वर्षों का सेवा विस्तार और मिल सकेगा।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं कुलसचिवों से कहा है कि अंगीभूत महाविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लियर कराकर रिक्तियां अविलंब भेजें। उन्होंने बताया कि अंगीभूत महाविद्यालयों में प्राचार्यों की नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा पर पांच वर्षों के लिए होगी। अगर पांच वर्षों की सेवा संतोषप्रद रही, तो उन्हें पांच वर्षों का सेवा विस्तार और मिल सकेगा। इसके लिए पटना विश्वविद्यालय अधिनियम तथा बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन पहले ही किया जा चुका है।
माना जा रहा है कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंगीभूत महाविद्यालयों के लिए प्राचार्यों की नियुक्ति होगी। राज्य के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के 46 सौ सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति की प्रक्रिया बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से चल रही है। ये नियुक्ति पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय एवं मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में होंगी।