पटना

पटना: ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कोरोनाकाल में ली जायेगी सेवा


सेवा के बदले प्रति मरीज 200 रुपये होगा भुगतान

(आज समाचार सेवा)

पटना। ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित कोरोना मरीजों की पहचान एवं होम आइसोलेशन में इलाजरत रोगियों के सहयोग हेतु सरकार ने प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने का निर्णय लिया है। इस कार्य के लिए इन्हें सूचक सह ट्रीटमेंट सपोर्टर कहा जायेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है। इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सेवा के बदले संपूर्ण कार्य को संपन्न किये जाने के बाद प्रति मरीज 200 रुपये भुगतान किया जायेगा। राशि का भुगतान डीबीटी के माध्यम से आधार से लिंक सीधे बैंक खाता में किया जायेगा।

यह जानकारी आज स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने दी। उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा संस्थान के द्वारा उर्त्तीण लगभग 15 हजार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पूर्व में ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। उपरोक्त कार्य हेतु जिला स्तर पर वर्चुअल माध्यम से ऐसे ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रवार कोरोना से संबंधित विभिन्न पहलूओं पर प्रशिक्षित किया जायेगा। ऐसे दक्ष ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना मरीजों की ट्रैकिंग, ट्रेसिंग एवं जांच में स्वास्थ्य विभाग को सहायता मिलने के साथ-साथ पॉजीटिव मरीजों को भी तत्काल स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा लाभ मिल सकेगा।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से संबंधित मरीज की पहचान करना, उनकी जांच कराने उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाना एवं जांचोपरांत पॉजिटिव पाये जाने वाले मरीजों को होम आइसोलेशन के दौरान ट्रैकिंग एवं उनका जिला नियंत्रण कक्ष के साथ समन्वय का कार्य करना है। साथ ही गंभीर मरीजों के संबंध में यथाशीघ्र डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर एवं डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती कराने हेतु सूचना देना और आउटकम रिपोर्टिंग करना होगा।

स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के मरीजों की जानकारी संबंधित केंद्रों के प्रभारी को देंगे। वहीं दूसरी ओर भारत सरकार द्वारा और 13 सौ ‘बी’ टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर पटना पहुंचा। प्राप्त ऑक्सीजन सिलेंडर विभिन्न जिला अस्पतालों में भेजा जा रहा है, ताकि विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहे और भर्ती मरीजों का बेहतर उपचार हो सके।