(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। सिपाही जी अब सिपाहीगिरी छोड़ेंगी। टीचर बनेंगी। टीचर बनने के लिए ही वह सोमवार को काउंसलिंग में शामिल हुईं। सोमवार को जिले के प्रखंड नियोजन इकाइयों में 6ठी से 8वीं कक्षा के गणित- विज्ञान व भाषा विषयों की शिक्षकों की नियुक्ति के लिए काउंसलिंग थी। इसके लिए राजधानी के पांच स्कूल काउंसलिंग केंद्र बनाये गये थे। उसी में एक है शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (पटना हाई स्कूल), जहां मसौढ़ी प्रखंड नियोजन इकाई में शिक्षकों की बहाली के लिए काउंसलिंग थी। वहां सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस वाले भी तैनात थे। उनमें कई महिला सिपाही भी थीं।
तो, वहां ड्यूटी बजाने वालीं महिला सिपाही उस वक्त चौंक उठीं, जब उनकी एक परिचित सहेली सिपाही टीचर बनने के लिए वहां काउंसलिंग में शामिल होने पहुंची। पहले तो ड्यूटी बजाने वालीं महिला सिपाहियों को लगा कि सहेली सिपाही शायद मजाक कर रही है। इसलिए कि, कोई सिपाही की नौकरी छोड़ भला मिडिल स्कूल में टीचर क्यों बने। सिपाही से मिडिल स्कूल में टीचर बनने पर तनख्वाह घट कर आधी जो हो जायेगी। बाकी सुविधाओं में कटौती होगी, सो अलग। मायने यह कि सिपाही से मिडिल स्कूल में टीचर बनने पर घाटा ही घाटा। यह जानते हुए भी सहेली सिपाही मिडिल स्कूल में टीचर क्यों बनना चाहती है?
जवाब दिया खुद सहेली सिपाही ने। सहेली सिपाही कुंवारी हैं। जब वह सिपाही बनीं, तो घर वालों में उम्मीद जगी कि बिटिया की शादी अब अच्छे घर-परिवार में हो जायेगी। लेकिन, जल्दी ही घर वालों को अपनी उम्मीद पर पानी फिरता नजर आने लगा। इसलिए कि, जहां भी रिश्ते के लिए जाते, तो वर पक्ष वाले यह कहते हुए रिश्ते से मना कर देते कि उन्हें ‘सिपाही बहू’ नहीं चाहिये। जब घर-परिवार के सदस्यों की उम्मीद पूरी तरह से नाउम्मीदी में बदलने लगी, तो सिपाही जी ने सिपाहीगिरी छोडऩे का मन बना लिया। यह जानते हुए भी कि सैलरी घट कर आधी हो जायेगी और बाकी सुविधाएं भी छिन जायेंगी। पर, पैसा ही तो सब कुछ नहीं है न!
महिला सिपाही ठहरीं प्राइमरी ट्रेंड और ऊपर से टीईटी पास भी। मसौढ़ी प्रखंड नियोजन इकाई के लिए आवेदन भी किया हुआ था। और, मेधा सूची में नाम भी आया हुआ था। फिर, देर किस बात की। पहुंच गयीं काउंसलिंग में। सिपाहीगिरी छोड़ टीचर बनने के लिए।