पटना

पटना: बैंक के शाखा प्रबन्धक समेत तीन को कठोर कारावास व जुर्माना


एक करोड़ रुपये से अधिक का जाली दस्तावेज पर ऋण देने का मामला

(आज अदालत समाचार)

पटना। सीबीआई के विशेष जज सत्येन्द्र पाण्डेय की अदालत द्वारा शुक्रवार को जाली दस्तावेज व फर्जी व्यक्तियों के नाम पर एक करोड़ ११ लाख ३८ हजार ४८६ रुपये का ऋण देने के मामले में मध्य बिहार ग्रामीण बैंक असरी, अरवल के तत्कालीन शाखा प्रबन्धक बागीश नाथ दूबे, कलौर सर्किल अरवल के राजस्व कर्मचारी रणविजय सिंह व आनन्द आटो अरवल के मालिक अजीत कुमार को कठोर कारावास व जुर्माना की सजा सुनाया।

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक बाल मुकुन्द अग्रवाल ने इस मामले में कुल २८ गवाहों से गवाही करवायी। अग्रवाल ने बताया कि सीबीआई ने उक्त मामला २६ मई २०१५ को चार अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज किया था जिसमें एक अभियुक्त सुधीर कुमार जो अजीत कुमार का भाई है। विशेष अदालत द्वारा पूर्व में सजा दे दिया गया है।

अग्रवाल ने आगे बताया कि अभियुक्तों ने वर्ष २०१४ में प्रबन्धक के सहयोग से फर्जी व्यक्तियों व जाली कागजात तैयार कर बैंक से १२८ केसीसी लोन व २६ पावर टेलर लोन जो एक करोड़ से अधिक का था प्राप्त किया। अनुसंधान के क्रम में यह तथ्य उजागर हुआ कि १०२ केसीसी लोन में फर्जी दस्तावेज था तथा २३ पावर टेलर लोन फर्जी व्यक्तियों के नाम पर था तथा वर्ष २०१४ में आनन्द आटो टै्रक्टर डीलर के सुधीर व अजीत कुमार उस अवधि में डीलर ही नहीं थे।

अदालत ने बागीश नाथ दूबे को भादवि की धाराएं १२० बी, ४२०, ४७१, ४७७ ए व पीसी ऐक्ट में दोषी पाते हुए सभी धाराओं में पांच-पांच वर्ष का सश्रम कारावास व कुल ५० हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा राजस्व कर्मचारी विजय को १२०बी, ४६७ व ४६८ में १० वर्ष का कारावास व ३० हजार अर्थदण्ड को सजा तथा अभियुक्त अजीत को १२०बी व ४२० में पांच वर्ष का सश्रम कारावास व २० हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा दिया। जुर्माना की रकम नहीं देने पर ६ माह का अतिरिक्त सजा भुगतने का प्रावधान अलग से निर्णय में दिया गया है।