पटना

पटना: मुखिया होंगे परामर्शी समिति के अध्यक्ष


पहले की तरह निर्वाचित प्रतिनिधि काम करते रहेंगे, पदनाम बदलेगा, वेतन भत्ता भी मिलेगा

  • कैबिनेट के अन्य फैसले
  • पुलिस मुख्यालय के लिए दंगा निरोधक वाहन खरीदने को 36.41 करोड़ रुपयों की मंजूरी
  • दानापुर-बिहटा एलेवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए लगभग 456 करोड़ रुपयों की मंजूरी

पटना (आससे)। बिहार कैबिनेट की मंगलवार शाम मीटिंग हुई है। इसमें त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को लेकर बड़ा फैसला हुआ है। कैबिनेट ने पंचायती राज संस्थाओं के संचालन के लिए परामर्शी समिति बनाने को मंजूरी दे दी है। अब 16 जून से पंचायती राज संस्थाओं का कामकाज परामर्शी समिति ही देखेगी। इससे पिछली कैबिनेट मीटिंग में पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी गई थी। कैबिनेट ने इसके अलावा 9 अन्य एजेंडों पर भी मुहर लगाई है।

15 जून के बाद पंचायत और ग्राम कचहरी के निर्वाचित प्रतिनिधि पूर्व की तरह काम करेंगे। पर, इनका पदनाम बदल जाएगा। 16 जून से यह सभी प्रतिनिधि बतौर परामर्शी समिति अध्यक्ष और सदस्य के रूप में काम करेंगे। मुखिया संबंधित ग्राम पंचायत की परामर्श समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप-मुखिया उपाध्यक्ष एवं ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य), सदस्य कहलाएंगे।

सरपंच संबंधित ग्राम कचहरी की परामर्श समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप-सरपंच, उपाध्यक्ष एवं पंच, सदस्य कहलाएंगे। पंचायत समिति प्रमुख, संबंधित पंचायत समिति की परामर्श समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप-प्रमुख उपाध्यक्ष एवं पंचायत समिति सदस्य, सदस्य कहलाएंगे।

इसके अलावा पंचायत समिति के सभी कार्यक्षेत्र के विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा एवं राज्यसभा के माननीय निर्वाचित सदस्य भी समिति के सदस्य होंगे। समिति के कार्यक्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों के परामर्शी के अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे।

जिला परिषद अध्यक्ष, संबंधित जिला परिषद की परामर्श समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप-जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद के सदस्य, सदस्य कहलाएंगे। इसके अलावा जिला परिषद के कार्यक्षेत्र के विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा एवं राज्यसभा के माननीय निर्वाचित सदस्य भी परामर्शी समिति के सदस्य होंगे।

कार्यपालक पदाधिकारी की भूमिका प्रखंड विकास पदाधिकारी की होंगी। इस दौरान निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को वेतन व भत्ता भी मिलता रहेगा। यह व्यवस्था आगामी चुनाव के बाद त्रिस्तरीय पंचायत के गठन तक जारी रहेगी।

आपको बता दें कि कोरोना के कारण बिहार में पंचायत चुनाव नहीं हो सका है। 2.58 लाख पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो रहा है। इसके मद्देनजर सरकार ने गांव में विकास कार्य ठप न हो जाए इसके लिए परामर्शी समिति बनाने का फैसला किया है। चुनाव होने के बाद इस समिति को भंग कर दिया जाएगा।