पहले चरण में शुरू हुई 19 जिलों के 265 मास्टर ट्रेनरों की ट्रेनिंग
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में लाखों और वयस्कों को साक्षरता का पाठ पढ़ाने की तैयारी शुरू हो गयी है। पंद्रह वर्ष और इससे अधिक उम्र के असाक्षरों को पढऩा-लिखना सिखाने के लिए मास्टर ट्रेनरों की ट्रेनिंग शुरू हुई। ऐसे असाक्षर ‘पढऩा-लिखना अभियान’ के तहत साक्षर बनेंगे। यह अभियान साक्षरता की केंद्र प्रायोजित योजना है।
इसके तहत 19 जिलों के 265 मास्टर ट्रेनरों की दो दिवसीय ट्रेनिंग शनिवार को अग्रसेन भवन के सभागार में शुरू हुई। 265 मास्टर ट्रेनरों में 87 महिला और 178 पुरुष हैं। ये सभी केआरपी (की-रिर्सोस पर्सन) हैं। केआरपी प्रखंड स्तर पर होते हैं। जहां केआरपी नहीं हैं, वहां से एक योग्य अनुभवी शिक्षा सेवक या तालिमी मरकज के शिक्षा सेवक हैं।
इन 19 जिलों में नवादा, गया, जहानाबाद, अररिया, औरंगाबाद, कटिहार, किशनगंज, अरवल, मधुबनी, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्णियां, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर, दरभंगा एवं पूर्वी चंपारण शामिल हैं। ट्रेनिंग आठ स्त्रोत व्यक्तियों द्वारा दी जा रही है। इनमें तीन स्त्रोत व्यक्ति ‘प्रथम’ संस्था के, दो स्त्रोत व्यक्ति दीपायतन के, एक स्त्रोत व्यक्ति आद्री के तथा गया, वैशाली एवं अरवल के एसआरजी स्त्रोत व्यक्ति हैं।
शिक्षा विभाग के शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा ने प्रशिक्षण के दौरान मास्टर ट्रेनरों को टिप्स दिये। ट्रेनिंग की मॉनीटरिंग जन शिक्षा के सहायक निदेशक रमेश चन्द्र द्वारा की जा रही है। दूसरे चरण में 22 एवं 23 मार्च को बाकी 19 जिलों के 269 मास्टर ट्रेनरों की ट्रेनिंग होगी। इनमें पटना, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, नालंदा, भागलपुर, सीवान, बांका, सारण, गोपालगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मुंगेर, लखीसराय, जमुई, शेखपुरा, खगडिय़ा एवं बेगूसराय शामिल हैं।
‘पढऩा-लिखना अभियान’ के तहत असाक्षरों की पहचान कर उन्हें साक्षर बनाने के लिए सर्वे हुआ था। सर्वे में 26,81,522 ऐसे वयस्कों की पहचान हुई है, जो असाक्षर हैं। इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों हैं। इन असाक्षर वयस्कों को पढऩा-लिखना सीखा कर साक्षर बनाने के लिए 61,392 स्वयंसेवक भी सर्वे में चिन्हित किये गये हैं।