पटना

पटना: लैब की मॉनीटरिंग का प्रैक्टिकल एग्जाम पर बेहतर असर


प्रयोगशालाओं के फंक्शनल रहने से प्रायोगिक परीक्षाओं का संचालन आसान

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। मॉनीटरिंग से जोड़े जाने से सरकारी स्कूलों की प्रयोगशालाएं पटरी पर लौट आयीं हैं। इसके बेहतर नतीजे प्रायोगिक परीक्षा में दिख रहे हैं। प्रयोगशालाओं के फंक्शनल रहने से इंटरमीडिट की प्रायोगिक परीक्षा के लिए उसे तैयार करना आसान हो गया। माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की प्रयोगशालाओं को मॉनीटरिंग से जोडऩे की कहानी पटना जिले की है।

दरअसल, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के निर्देश पर सरकारी स्कूलों में प्रति कार्यदिवस की गहन मॉनीटरिंग शुरू हुई। गत अगस्त माह से प्रत्येक कार्यदिवस की मॉनीटरिंग जिलों के जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा शुरू हुई। जिलों के जिला शिक्षा कार्यालय से प्राथमिक-मध्य विद्यालयों की मॉनीटरिंग रिपोर्ट शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय एवं माध्यमिक-उच्च माध्यमिक विद्यालयों की मॉनीटरिंग रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को पहुंचने लगी।

इसमें पटना जिले में खास बात यह रही कि जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रति कार्यदिवस की मॉनीटरिंग के लिए फॉर्मेट नये रूप में इस ढंग से डिजाइन किया कि उसमें शिक्षण व्यवस्था से संबंधित हर गतिविधि की निगरानी की जा सके। इसके लिए तीन खंड के फॉर्मेट में अठारह कॉलम शामिल किये गये। इनमें ऐसे भी कॉलम होते, जो जरूरत के हिसाब से हर माह बदले जाते। इससे उसके कार्यान्वयन के लिए विद्यालयों पर दबाव बनने लगा।

इसी क्रम में छात्र-छात्राओं से संबंधित ब्योरे में नामांकित छात्र-छात्राओं की कक्षावार संख्या और उपस्थित छात्र-छात्राओं की संख्या के साथ प्रायोगिक वर्ग से लाभान्वित छात्र-छात्राओं की संख्या से जुड़े कॉलम भी फॉर्मेट में जोड़े गये। फॉर्मेट में ‘प्रायोगिक वर्ग से लाभान्वित छात्र-छात्राओं की संख्या’ का कॉलम जुडऩे का असर पड़ा। जब प्रायोगिक कक्षाओं के संचालन को लेकर हर दिन रिपोर्ट देनी हो, प्रयोगशालाएं तो खुलेंगी ही।

सो, विज्ञान संकाय में फिजीक्स, केमेस्ट्री एवं बॉयोलॉजी की प्रयोगशालाओं के साथ ही कला संकाय में भूगोल, मनोविज्ञान एवं गृहविज्ञान की प्रयोगशालाएं खुलने लगीं। वाणिज्य संकाय में भी प्रायोगिक विषयों की प्रयोगशालाओं के दरवाजे खुल गये। इंस्पेक्शन में पहुंचने वाले जिले के अधिकारी भी प्रयोगशालाओं का जायजा लेने लगे। इससे स्कूलों पर प्रयोगशालाओं की साफ-सफाई को लेकर दबाव बना। रुटीन के हिसाब से प्रायोगिक कक्षाएं चलनी शुरू हुईं, तो उपकरणों के जंग भी छूट गये।

यही वजह रही कि सोमवार को जब इंटरमीडिएट की प्रयोगिक परीक्षाएं शुरू हुईं, तो प्रयोगशालाओं एवं उपकरणों की साफ-सफाई को लेकर जिले के सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालयों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। इसलिए कि प्रयोगशालाएं फंक्शनल थीं। प्रायोगशालाओं के सुव्यवस्थित रहने से प्रायोगिक परीक्षा लेने वाले आंतरिक एवं बाह्य परीक्षक तथा इसमें शामिल परीक्षार्थी दोनों ही राहत की सांस ले रहे हैं।