(आज समाचार सेवा)
पटना। सरकार ने सचिवालय सेवा कर्मियों को झटका देते हुए कहा है कि कर्मियों के पदनाम में बदलाव किया जाना संभव नहीं है। हालांकि बिहार सचिवालय सेवा संघ लंबे समय से केंद्रीय सचिवालय के तर्ज पर पदनाम में बदलाव करने को लेकर संघर्षरत रहा है। कई बार मुख्य सचिव के संग उनकी बैठक हुई, आश्वासन भी मिले और अब सरकार ने पदनाम बदलने से इनकार कर दिया है।
राजद के चंद्रशेखर के गैर सरकारी संकल्प का जवाब देते हुए सरकार ने कहा है कि डीओपीटी के आदेश के अनुसार केंद्रीय सचिवालय में सहायक का पदनाम सहायक प्रशाखा पदाधिकारी किया गया है। किंतु भारत सरकार के उक्त आदेश के आलोक में विभिन्न राज्यों द्वारा पदनाम परिवर्तित तो किया गया है, परंतु उक्त परिवर्तित पदनाम में एकरूपता नहीं है। यथा उत्तराखंड में समीक्षी अधिकारी, गुजरात में उप प्रशाखा पदाधिकारी, मध्य प्रदेश में सहायक अनुभाग पदाधिकारी के रुप में पदनाम परिवर्तित किया गया है। यद्यपि झारखंड सरकार द्वारा सहायक का पदनाम परिवर्तित करते हुए सहायक प्रशाखा पदाधिकारी किया गया है।
जहां तक बिहार का सवाल है तो यहां बिहार सचिवालय सेवा अधिनियम २००७ के तहत बिहार सचिवालय सेवा गठित है। संभवत: अन्य राज्यों में अधिनियम के आधार पर कोई सेवा नियमावली कार्यरत नहीं है। बिहार में पूर्व में ग्रुप डी के कर्मियों का पदनाम परिवर्तित करते हुए कार्यालय परिचारी किया गया, जबकि उक्त पदनाम परिवर्तन से संबंधित ऐसी कार्रवाई किसी अन्य राज्य में नहीं की गयी। भारत सरकार में इसे मल्टी टास्किंग स्आफ किया गया तथा उत्तर प्रदेश में वर्ग घ के कर्मियों को अनुसेवक किया गया है। कई अन्य राज्यों में केंद्रीय यचिवालय के अनुरूप पदनाम परिवर्तित नहीं किया गया है।
सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के कार्यों में भिन्नता है। पदनाम परिवर्तित होने से भविष्य में कई प्रकार की जटिलतायें यथा वेतन-भत्ता, कार्य पद्धति में बदलाचव आदि से इनकार नहीं किया जा सकता है। सहायकों का पदनाम परिवर्तन करने से संबंधित कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन नहीं है।