पटना

पटना: सामान्य उपभोक्ताओं की सीमा से बाहर हुआ सरसों तेल


पटना। सरसों तेल में सब्जी, मीट-मुर्गा और अंडे तलना आज सामान्य लोगों के बूते के बाहर हो गया है। सरसों तेल आज १६० से १६५ रुपये किलो हो गया है। सरसों तेल की कीमत में यह उछाल ज्यादा नहीं, छह महीने में आयी है।

सरसों तेल की कीमतों की आने वाले तीन महीनों में कमने की कोई उम्मीद नहीं है। यानी आने वाले तीन महीनों में उसकी कीमत में १० से ३० रुपये और वृद्धि हो सकती है। सरसो तेल की कीमते बढऩे से सामान्य उपभोकता ही नहीं, खाद्य तेल के बिक्रेताओं के भी हाथ-पांव फुलने लगे हैं।

बिक्रेता उपभोक्ताओं को जवाब देते परेशान है, तो सामान्य उपभोक्ता महिलाओं और घरेलु कंजूमरों को। सरसों-तेल की आसमान छूती कीमतों ने सामान्य उपभोक्ताओं का जीना दूभर कर दिया है। फिलहाल सामान्य पेराई प्रोडक्ट सरसो तेल तो किसी तरह १५० से १६० रुपये किलो मिल जी रहे जी रहे हैं, किंतु इंजन, डलक्स, लक्ष्मी, स्कूटर और कोल्हू ब्रांडेड सरसो तेल इससे १० से १५ रुपये किलो की अधिक कीमत पर मिल रही है।

फिलहाल थोक बाजार में १२५० रुपये टीना सरसो तेल बिक रहा है। इतना महंगा सरसो तेल खरीद कर सामान्य उपभोक्ता सब्जी-मीट बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। सरसो तेल का पकौड़ी, चिकेन, मटन और सब्जियों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। चार से छह सदस्यीय मिडिल क्लास फैमिली में हर महीने कम से कम तीन किलो सरसो तेल की खपत होती है। यानी मिडिल क्लास फैमिली को हर महीने कम से कम ४८० रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। सरसो तेल की बेलगाम कीमत ने मिडिल और लोअर क्लास फैमिली का बजट बुरी तरह बिगाड़ दिया है। लोअर और मिडिल क्लास फैमिली का बहुत कुछ सरसो तेल पर निर्भर है।

बिहार राज्य तेल डालडा बिक्रेता संघ के अध्यक्ष रवीन्द्र कसेरा भी इस हालात को ले कर परेशान है। उन्होंने कहा कि ऐसी विकट स्थिति उन्होंने अपने ३० वर्षों के कैरियर में नहीं झेली थी। अपने लंबे कैरियर में उन्होंने अधिकतम ९० रुपये किलो तक सरसो तेल की खरीद-बिक्री की थी, किंतु आज उन्हें २१५० रुपये टीना तेल खरीदनी पड़ रही है। छ: महीना पहले तक उन्होंने १५५० रुपये टीना सरसो तेल की खरीद की थी। लगा था कि इसके बाद तेल की कीमत पर लगाम लग जायेगा, किंतु बढ़ती कीमतों पर कोई ब्रेक नहीं लगा। आज तेल १६० से १६५ रुपये किलो तक पहुंच गया। आने वाले दो-तीन महीनों तक इसकी बढ़ती कीमतों पर लगाम लगने की कोई उम्मीद नहीं है।

सरसो पेराई और तेल प्रोडक्शन से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बार बिहार झारखंड, पश्चिम बंगाल, और असम में सरसो की फसल मारी गयी। इन राज्यों में दूसरे देशों की सरसो से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में सरसो किसान, कंजूमर और डीलर तक परेशान तबाह हैं।