पटना

पटना: सेना की मदद लेने का आदेश दे सकता है कोर्ट


पटना (विधि सं)। पटना हाई कोर्ट ने राज्य में बेकाबू होते कोरोना संक्रमण मामले पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सरकार के रवैये पर अपनी गहरी नाराजगी जताई। राज्य सरकार द्वारा की गई लॉकडाउन यानी तालाबंदी की घोषणा की जानकारी सुनवाई के दौरान मिलने के बाद भी राज्य सरकार के रवैये पर रोष जताते हुए न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह व न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट को अब सेना की मदद के अलावे अब कोई दूसरा विकल्प नजऱ नही दिखता।

खण्डपीठ ने आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे के डॉक्टरों की टीम से मदद लेने का भी जिक्र किया। वहीं,  महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इस महामारी से युद्ध स्तर पर निपट रही है। हर  दिन और हर हफ्ते सरकार कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन व बेड बढ़ाने में लगी है। उन्होंने महाराष्ट्र और केरल में कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौतों की तुलना बिहार से किया और कहा कि उन दोनों राज्य में अधिक संसाधन होते हुए भी बिहार से ज्यादा मौतें हुई है।

इस पर खण्डपीठ ने रोष जताते हुए कहा कि नागरिकों की मौत की कोई तुलना नहीं हो सकती है। इस पर, जब महाधिवक्ता ने कोर्ट को कहा कि नागरिकों के मौत का उन्हें भी दुख है, तो कोर्ट ने कहा कि आपको दुखी अवश्य होना चाहिए, लेकिन इस बात पर भी दुखी होना चाहिए की जैसा कोर्ट ने निर्देश दिया वैसा सरकार काम नहीं कर सकी।

गंभीर होते हुए हालात पर जितना जल्दी सरकार का रिस्पॉन्स मिलना चाहिए था उतना नहीं मिला। इसकी वजह से दिन बीतते गए और सूबे में कोविड  संक्रमण और उससे होने वाले मौतों ने भयावह रूप धारण कर लिया। कोर्ट ने फिर कहा की हम शर्मसार हैं कि 15 अप्रैल से हम सरकार को बताते रहे, आदेश पर आदेश देते रहे और सूबे में लोग मरते रहे। कोर्ट शर्मिंदा है की उसने शुरू में सरकार के आंकड़ों व अस्वाशन पर विश्वास किया।

यदि प्रारंभ में ही कड़ा निर्देश देते तो शायद अधिकतर लोगों को उनके जीवन जीने के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं होना पड़ता। कोर्ट ने सोमवार को अपनी कही हुई बातों को दोहराते हुए कहा कि अब सरकार पूरी तरह से फेल हो गयी है और राज्य में स्वास्थ्य सेवा ध्वस्त हो चुका है तो अब हम और इंतज़ार नहीं कर सकते। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि 48 घंटे में ऑक्सीजन व बेड की समस्या नहीं सुधरी तो सेना की मदद लेने का आदेश दे सकता है कोर्ट। सूबे के डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में निर्बाध ऑक्सीजन आपूर्ति और मरीजों की चिकित्सा हेतु सेना की मदद भी ली जा सकती है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने राज्य सरकार को अंतिम मौका दिया है। महाधिवक्ता ने कोर्ट से एक अंतिम अवसर मांगते हुए कहा कि गुरुवार तक कुछ कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में अवश्य ऑक्सीजन प्लांट काम करने लगेगा। अगले 48 घण्टे में बेड और ऑक्सीजन कि आपूर्ति ज़रूर बढ़ेगी। हाईकोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए उक्त मामले की सुनवाई हेतु 6 मई की तिथि निर्धारित की है।