पटना

पटना: स्कूलों में पढ़ाई शुरू होने के नहीं दिख रहे आसार


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के तकरीबन एक लाख स्कूलों में 18 अप्रैल के बाद भी  करोड़ों बच्चों की पढ़ाई शुरू होने के आसार नहीं हैं। इस बात का संकेत कोरोना संक्रमण को लेकर बन रहे हालात कर रहे हैं।

एक लाख स्कूलों में तकरीबन 80 हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें 43 हजार स्कूल 1ली से 5वीं कक्षा की पढ़ाई वाले हैं, तो 29 हजार स्कूल 1ली से 8वीं कक्षा की पढ़ाई वाले। बच गये आठ हजार स्कूल, तो इनमें 9वीं से 10वीं एवं 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई वाले स्कूल हैं। इसके साथ ही 72 सहायता प्राप्त गैरसरकारी (अल्पसंख्यक सहित) माध्यमिक विद्यालय हैं, तो 108 सहायता प्राप्त गैरसरकारी (अल्पसंख्यक सहित) माध्यमिक विद्यालय। 715 प्रस्वीकृत एवं स्थापना की अनुमति प्राप्त माध्यमिक विद्यालय भी चल रहे हैं, जिन्हें सरकार के उनके छात्र-छात्राओं के मैट्रिक के रिजल्ट के आधार पर अनुदान देती है।

इसी प्रकार राज्य में सरकार द्वारा अनुदानित मदरसे एवं संस्कृत विद्यालय भी चल रहे हैं। सरकारी एवं अनुदानित विद्यालयों से इतर जिलों में आरटीई के तहत रजिस्टर्ड 1ली से 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई वाले प्राइवेट स्कूलों की संख्या भी तकरीबन 10 हजार के आसपास है। इनमें 10वीं एवं 12वीं कक्षा की पढ़ाई वाले प्राइवेट स्कूल भी शामिल हैं।

इन स्कूलों के बच्चों को कोरोनाकाल में हुई पढ़ाई की क्षति का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि संक्रमण से बचाव को लेकर पिछले साल यानी वर्ष 2020 के 13 मार्च को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए तमाम शिक्षण संस्थान बंद करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था।

उसके अगले दिन से सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गये थे। 22 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर जनता कफ्र्यू लगा था। और, उसके एक दिन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ था। स्कूली छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं भी लॉकडाउन में फंस गयीं थीं। इसलिए कि, सरकारी स्कूलों के 1ली से 8वीं कक्षा की परीक्षाएं मार्च के अंतिम हफ्ते में थीं। 9वीं एवं 11वीं कक्षा की परीक्षाएं भी नहीं हुईं थीं। चूंकि, अगले माह यानी अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होना था, इसलिए 1ली से 9वीं एवं 11वीं कक्षा के छात्र-छात्रा बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट कर दिये गये थे।

अनलॉक फेज-वन शुरू हुआ, तो सरकारी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में मिड डे मील के अनाज बंटने शुरू हुए थे। अनलॉक के अगले चरण में स्कूलों में 5वीं एवं 8वीं कक्षा से प्रमोट हुए बच्चों के क्रमश: 6ठी एवं 9वीं कक्षा में दाखिले के लिए टीसी बनने शुरू हुए थे। बाद में बच्चों का दाखिला भी शुरू हुआ। 11वीं कक्षा में भी बच्चों के दाखिले शुरू हुए। 28 सितंबर से स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षाओं के क्लासरूम के ताले प्रतिदिन 33 फीसदी छात्र-छात्राओं के लिए मागदर्शन कक्षा के नाम पर खुल गये।

उसके बाद चार जनवरी से हर कार्यदिवस को अधिकतम 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू हुई। आठ फरवरी से हर कार्यदिवस को 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए भी स्कूल खुल गये। उसके बाद एक मार्च से प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी उपस्थिति के साथ ही 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खोल दिये गये।

हालांकि, ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था तो की गयी, लेकिन वह स्कूली बच्चों  के लिए क्लासरूम की जगह नहीं ले पायी। इसके मद्देनजर 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चे पिछले साल यानी वर्ष 2020 की तरह ही इस साल भी बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट किये गये।

इस बीच एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू हुआ। नये शैक्षिक सत्र में 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चे प्रमोट होकर क्रमश: 2री से 9वीं कक्षा में पहुंच चुके हैं। 9वीं कक्षा के बच्चे भी परीक्षा से 10वीं कक्षा में पहुंच गये। 2री से 10वीं कक्षा के बच्चों की तीन माह के कैचप कोर्स के जरिये पुरानी कक्षाओं के पाठ पांच अप्रैल से पढ़ाये जाने थे।

लेकिन, कोरोना ने कोरोना ने अपने पांच इस कदर बढ़ाने शुरू किये कि कैचप कोर्स की पढ़ाई शुरू होने के दो दिन पहले  यानी तीन अप्रैल को ही राज्य के स्कूल-कॉलेज एवं कोचिंग संस्थान सहित सभी शिक्षण संस्थान 11 अप्रैल तक बंद कर दिये गये। पर, हालात सुधरने के बदले बिगड़ते ही चले गये, स्कूल-कॉलेज एवं कोचिंग संस्थान सहित सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखने की अविधि 18 अप्रैल तक बढ़ा दी गयी।